कोलकाता की फोटो प्रदर्शनी में गया के जाने माने छायाकार रूपक सिन्हा की कलाकृतियों ने बटोरी सुर्खियां

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देवब्रत मंडल

गया के वरिष्ठ छायाकार रूपक सिन्हा की तस्वीरें हाल ही में कोलकाता में आयोजित एक प्रतिष्ठित फोटो प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र रहीं। “विजन ऑफ द लेंस-द डुएलिटी ऑफ रियलिटी” नामक इस प्रदर्शनी में देश-विदेश के चर्चित फोटोग्राफर्स की कलाकृतियों का प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शनी में रूपक सिन्हा बिहार से एकमात्र छायाकार थे, जिनकी कलाकृति को विशेष सराहना मिली। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता गौतम घोष समेत कई कला समीक्षकों, फोटोग्राफर्स, मॉडल्स और मेकअप आर्टिस्ट ने उनकी तस्वीरों की खुलकर प्रशंसा की।

गौतम घोष, जिन्होंने गया में “पतंग” फिल्म की शूटिंग के दौरान बिताए अपने पलों को याद किया, वे रूपक सिन्हा की कलाकृति देखकर भाव-विभोर हो गए। उन्होंने प्रदर्शनी के दौरान एक पुरानी घटना को साझा करते हुए बताया कि कैसे रूपक सिन्हा ने “पतंग” फिल्म की शूटिंग के दौरान एक तस्वीर उन्हें भेंट की थी, जो आज भी उनकी यादों में बसी हुई है। उन्होंने कहा, “आपने तो पुराने दिनों की याद ताजा कर दी।”

कला की दुनिया के दिग्गजों का जुटान

इस दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन आर्ट विला गैलरी, कोलकाता में किया गया था, जिसमें देश-विदेश के कुल 22 फोटोग्राफर्स की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं। इनमें सर्वश्री अमित चौधरी, विश्वाजीत चटर्जी, कौस्तुभ बंधोपाध्याय, शुवो भट्टाचार्जी जैसे कोलकाता के छायाकारों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर्स जीरोमी हुगुएट (पेरिस, फ्रांस) और लूईस मेंडोज़ा (न्यू जर्सी, अमेरिका) की तस्वीरें भी शामिल थीं।

इस प्रदर्शनी में विशेष रूप से आमंत्रित किए गए प्रसिद्ध सर्जन और कला प्रेमी डॉ. कौशिक घोष और “पतंग” फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित निर्देशक गौतम घोष ने भी प्रदर्शनी की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

कला और कलाकारों पर विचार-विमर्श

प्रदर्शनी के दौरान फाइन आर्ट फोटोग्राफी और कला की दुनिया में नए आयामों पर भी चर्चा हुई। छायाचित्रकारों, कला समीक्षकों और दर्शकों ने कला की बारीकियों और उसकी समाज पर पड़ने वाली गहरी छाप के बारे में अपने विचार साझा किए।

इस सफल आयोजन का श्रेय प्रमुख रूप से छायाकार प्रताप दास गुप्ता और अबीर रॉय को दिया गया, जिन्होंने इस प्रदर्शनी को आयोजित कर फोटोग्राफी की दुनिया में एक नया आयाम जोड़ा।

रूपक सिन्हा की कलाकृतियों की चर्चा और सराहना न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है, जो यह दर्शाती है कि यहां के कलाकार भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी अलग पहचान बना सकते हैं।

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