देवब्रत मंडल
15 सितंबर को तीन वंदे भारत सेमी हाई स्पीड ट्रेन गया को मिले। इन तीनों ट्रेन के उद्घाटन को लेकर गया जंक्शन पर ऐतिहासिक समारोह देर शाम सम्पन्न हो गया। इन तीन में से दो ट्रेन गया-हावड़ा और देवघर-वाराणसी वंदे भारत ट्रेन में डीडीयू, सासाराम और गया के स्कूली बच्चों को रेल प्रशासन द्वारा मुफ्त सफर का अवसर प्रदान किया गया था। लेकिन इन स्कूली बच्चों को अपने साथ लाए टिफिन से ही भूख मिटाना पड़ा। रेल प्रशासन की तरफ से इन बच्चों को केवल एक समोसा और एक गुलाबजामुन दिया गया। भूखे बच्चों ने magadhlive के साथ अपने इस दुःख तकलीफ को साझा करते हुए बताया कि उन्हें रेलवे की तरफ से केवल एक समोसा और एक गुलाबजामुन दिया गया। अपनी भूख इन सभी ने अपने साथ घर से लेकर चले लंच से ही मिटाना पड़ा।
डीडीयू के इंटर कॉलेज और सासाराम के एक स्कूल से आए कई बच्चों ने बताया कि उन्हें गया में भोजन नहीं दिया गया।
रेलवे इंटर कॉलेज की छात्रा संगीता कुमारी ने बताया कि गया में उन्हें केवल एक समोसा मिला। जिससे भूख नहीं मिटी।
सासाराम के एक स्कूल से आई छात्रा स्मिता कुमारी ने बताया कि उन्हें गया में केवल एक समोसा और एक गुलाबजामुन मिला। घर से टिफिन लेकर चली थी, उसे खाकर भूख की ज्वाला को शांत करना पड़ा।
रेलवे इंटर कॉलेज, डीडीयू के छात्र आदित्य कुमार ने भी बताया कि एक समोसा और गुलाबजामुन गया में दिया गया, बाकी अपने साथ लाए लंच से ही भूख मिटाना पड़ा।
रेलवे इंटर कॉलेज, डीडीयू के एक शिक्षक हरिचंद प्रसाद ने बताया कि बच्चों को केवल एक समोसा गया में दिया गया। इसके अलावा भोजन के नाम पर कुछ नहीं दिया गया। इन्होंने बताया कि कि उनके ही नेतृत्व में बच्चे और कई टीचर गया जंक्शन आए थे। इसके बाद शाम करीब 5 बजे के आसपास देवघर-वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस से इन सभी बच्चों को अपने साथ लेकर लौट गए।
इस संबंध में डीडीयू के कार्मिक विभाग के एक पदाधिकारी ने बताया कि एक कल्याण निरीक्षक को ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी। देखा जाए तो स्कूली बच्चे जो सुबह में अपने अपने घरों से वंदे भारत ट्रेन में सफर के लिए निकले थे जो गया जंक्शन से भूखे ही लौट गए। हालांकि एक पदाधिकारी ने बताया कि इस ट्रेन से डीडीयू और सासाराम के स्कूली बच्चों के अलावा अन्य जो लोग भी लौट रहे थे उनके लिए गया जंक्शन से इस ट्रेन में भोजन के पैकेट को दे दिया गया है। जो रास्ते में लौटने के वक्त उपलब्ध कराया जाएगा।