गया के डुमरिया प्रखंड से पांच किलोमीटर दूर बरवाडीह मँझगवा के पहाड़ी पर महादेव का मंदिर है। यहां श्रावण मे श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। लोग दूर दूर से भोले शंकर की पूजा करने को आते हैं। जंगल व पहाड़ के बीच स्थित भोले शंकर का मंदिर मठ के नाम से जाना जाता है। शिवरात्रि और रक्षा बंधन के दिन विशाल मेला का यहां आयोजन होता है।
मंदिर का इतिहास और विशेषता
पांच सो वर्ष पुराना शिव मंदिर में भक्त गण कभी निराश होकर नहीं लौटे। दो सो से अधिक उचाई पर भगवान शंकर की मूर्ति है।मंदिर मे पार्वती, नंदी, गणेश, हनुमान जी की मूर्ति की पूजा होती है। पचास साल पहले राम गहन राम प्रखंड विकास पदाधिकारी डुमरिया के थे जो इस मंदिर की महिमा सुनकर आये थे। वे निसंतान थे। उन्होंने भगवान शंकर से प्रार्थना की थी कि मुझे एक संतान चाहिए। कहा जाता है कि भगवान शंकर की उन पर कृपा हुई। कृपा से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। भगवान भोले की इस कृपा से प्रसन्न पूर्व प्रखंड बिकास पदाधिकारी राम गहन राम ने मंदिर तक जाने के लिए सीढी का निर्माण कराया था। मंदिर मे जो भी लोग मांगते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए साधन
डुमरिया से ऑटो या अपने वाहन से मठ मंदिर तक जाने के लिए यातायत का साधन है। मंदिर के पुजारी मनीष कुमार पाठक ने बताया कि हमारे दादा जी भी इसी मंदिर में पूजा कराया करते थे।मंदिर बहुत ही पुराना है।