टिकारी संवाददाता: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में “संवैधानिक मूल्यों को जानो, पहचानो और अपनाओ” विषय पर संगोष्ठी के साथ संविधान दिवस सप्ताह का शुभारंभ किया गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने की, जिन्होंने संविधान के मूल्यों और नागरिक कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए “पांच ज”—जन, जानवर, जल, जमीन और जंगल के संरक्षण पर जोर दिया।
जन संपर्क अधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विशेष उत्पाद न्यायाधीश गया श्री राज कुमार राजपूत और अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री नलिन कुमार पांडे उपस्थित थे।
संविधान और कर्तव्यों पर विचार-विमर्श
मुख्य अतिथि श्री राज कुमार राजपूत ने संविधान को नागरिकों को सशक्त बनाने वाला दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा, “किसी भी अधिकार का दावा करने से पहले नागरिकों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।”
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री नलिन पांडे ने अपने संबोधन में कहा, “संवैधानिक अधिकारों से अधिक आवश्यक है संवैधानिक मूल्यों का पालन। समाज में इन मूल्यों का समावेश संवाद और सहभागिता के माध्यम से किया जा सकता है।”
विशिष्ट अतिथि का संबोधन
एनएलयू नागपुर के प्रो. वी. पी. तिवारी ने ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने संविधान के “मूलभूत ढांचे” की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि, “संवैधानिक मूल्य व्यक्ति के शरीर से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। इनका पालन पवित्र और शुद्ध कार्य है।”
कार्यक्रम का शुभारंभ और भविष्य की योजनाएं
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. संजय प्रकाश श्रीवास्तव के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने डॉ. बी.आर. अंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि, “संविधान की सफलता इस पर निर्भर करती है कि नागरिक इसे कैसे अपनाते और व्याख्या करते हैं।”
डॉ. सुरेंद्र कुमार ने पूरे सप्ताह चलने वाले कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताएं और संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम समन्वयक श्री मणि प्रताप ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बताया कि 26 नवंबर तक चलने वाले इस आयोजन में संविधान के मूल्यों पर गहन चर्चा होगी।
इस कार्यक्रम में प्रो. पी. के. दास, डॉ. पूनम कुमारी, डॉ. नेहा शुक्ला, डॉ. अनुराग अग्रवाल, प्रो. एम. के. शर्मा, प्रो. के. शिव शंकर, श्रीमती रेणु, डॉ. रचना विश्वकर्मा सहित आशीष, रंजन, विष्णुकांत, सक्षम और रिया जैसे छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे।