कहीं ऐसे लोगों के कारण ही तो नहीं है शराबबंदी कानून फेल, ड्राइवर माफिया से लेता है मोटी रकम और ‘दिलदार’ साहेब वाहन देते हैं छोड़

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मुख्य संपादक, देवब्रत मंडल

2016 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाज हित में बड़ा फैसला लेते हुए शराबबंदी कानून लागू किया था। मुख्यमंत्री को अपने अधिकारियों पर पूरा विश्वास था कि यह कानून सफल होने में पूरा पूरा साथ देंगे। लेकिन जिस मद्य निषेध विभाग को इसके लिए सशक्त माध्यम बनाया गया, उसी विभाग के तथाकथित पदाधिकारी ही इस मिशन को फेल करने में लगे हुए हैं। ये हम नहीं कह रहे। यह बात वायरल वीडियो के सामने आने के बाद कहा जा रहा है। बात गया जिले की है। जहां कभी जहरीली शराब पीने से कांड हो चुके हैं। वो भी उस वक्त जब शराबबंदी कानून लागू नहीं था। अब तो यह कानून 2016 के नवंबर से लागू है।

वायरल वीडियो सामने आने के बाद सहायक आयुक्त उत्पाद प्रेम प्रकाश कहते हैं कि वायरल वीडियो में स्पष्ट है कि जिस किराए के वाहन पर विभाग के पदाधिकारियों और बल के जवान चला करते हैं, उसी वाहन के चालक तारकेश्वर एक लाख रुपए एक व्यक्ति से ले रहा है। जिसकी जांच शुरू कर दी गई है। कुछ दिन पहले प्रतिबंधित महुआ फूल लदे एक वाहन को विभाग के पदाधिकारियों ने पकड़ा था, उसी वाहन को छोड़ दिए जाने के एवज में चालक एक व्यक्ति से रुपये ले रहा है। मामला गया जिले के शेरघाटी सर्किल का है। वीडियो में चालक तारकेश्वर को यह कहते हुए भी स्पष्ट सुना जा रहा है कि ‘साहेब’ दिलदार हैं। ये साहेब कौन हैं ये स्पष्ट नहीं हुआ है। जांच में कौन साहेब हैं पता चल पाएगा। बहरहाल, यह वायरल वीडियो मद्य निषेध विभाग की और शराबबंदी कानून की सार्थकता की पोल खोलती नजर आती है। वैसे भी बिहार में शराबबंदी कानून किस हद तक सफल है, पक्ष और विपक्ष के बड़े बड़े नेताओं का भी बयान मीडिया में सुर्खियों में रहा है। एक फिलॉसफी है कि ‘चोरी करना पाप नहीं बल्कि चोरी करते पकड़े जाना पाप है।’ और यही हुआ और वीडियो वायरल होने के साथ चोरी पकड़ी गई। खैर! यह कोई पहली घटना सामने बिहार में सामने नहीं आई है कि शराबबंदी कानून को विफल करने में कौन और कैसे कैसे लोग लगे हुए हैं। इसके पहले भी बात सामने आ गई है कि शराबबंदी कानून को फेल करने में कौन लोग लगे हुए रहे हैं। हालांकि ऐसे लोगों पर कानून का डंडा भी चला है लेकिन शराबबंदी लागू होने के बाद शराब पीने और पिलाने के साथ साथ इसके बिहार में आने से लेकर घरों तक पहुंचाने का अवैध धंधा बदस्तूर जारी है। कहीं तारकेश्वर जैसे चालक और तथाकथित ऐसे ‘साहेब’ के कारण तो नहीं यह कानून फेल हो रहा है ?

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