अस्त व्यस्त प्लेटफार्म के बीच पिंडदान को आने वाले तीर्थयात्रियों के सामने कई मुश्किलें खड़ी होगी

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देवब्रत मंडल

17 सितम्बर से विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2024 का आगाज हो जाएगा। इसके लिए तीर्थयात्रियों के आने का सिलसिला इसके कुछ दिन पहले से शुरू हो जाता है। गया आने के लिए रेल मार्ग, सड़क मार्ग और हवाई मार्ग तीनों सुविधाएं उपलब्ध है। अब तीर्थयात्रियों की आर्थिक क्षमता पर निर्भर करता है कि वे किस मार्ग से गयाजी आना चाहेंगे।
बहरहाल हम रेल मार्ग की बात करते हैं तो गया जंक्शन की वर्तमान स्थिति कहीं से भी बेहतर नहीं कही जा सकती है क्योंकि यहां हर तरफ नवीनीकरण और आधुनिकीकरण को लेकर कार्य चल रहा है।

हर प्लेटफॉर्म पर लोहे के गार्डर यत्र तत्र बिखरे पड़े नजर आ रहे हैं। टूटे फूटे प्लेटफॉर्म के फर्श पर यात्रियों को सुगमता से चलने में बाधक बन रही है। रात को हर जगह पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था नहीं रहने के कारण यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर ठेस लगकर गिरने का डर बना हुआ है। वहीं यात्री शेड की कमी देखने को मिल रही है। आश्विन माह में बारिश होती है। ऐसे में तीर्थयात्रियों को भीगने से बचने के लिए पर्याप्त या कहें माकूल स्थान प्लेटफॉर्म पर फिलहाल दूर दूर तक नजर नहीं आता है।
सबसे बड़ी मुश्किलें तो उस वक्त आएगी जब तीर्थयात्रियों को ‘नेचुरल कॉल’ के लिए खुले का सहारा लेना पड़ सकता है क्योंकि मेला के दौरान भीड़ का जो आंकलन या अनुमान लगाया जा रहा है तो यात्रियों के लिए पर्याप्त टॉयलेट या वॉशरूम नहीं है। गया जंक्शन के पूर्वी और पश्चिमी (डेल्हा साइड) में डेवलोपमेन्ट का काम चल रहा है।

गया जंक्शन पर एक स्थान पर सूचना सार्वजनिक की गई है कि शौचालय किधर है। पूरब साइड का डीलक्स शौचालय बंद है। पश्चिम साइड की तुलना में पूरब साइड से तीर्थयात्रियों का आना जाना अधिक होता है। इसका कारण है कि पिंडदान के लिए इस साइड से ही तीर्थयात्री गया शहर में प्रवेश करते हैं। अब यहां सीधा सवाल खड़ा हो रहा है कि जो यात्री या तीर्थयात्री प्लेटफॉर्म संख्या 1,2, 3 पर होंगे और उन्हें नेचुरल कॉल की आवश्यकता पड़ी तो उन्हें डेल्हा साइड में ही यह व्यवस्था दी गई है जो असुविधाजनक प्रतीत होता है।

दूसरी बात कि प्लेटफॉर्म पर वाणिज्यिक विभाग के पर्यवेक्षक का कार्यालय नहीं रहने के कारण प्लेटफार्म पर यदि किसी तीर्थयात्री के साथ समस्या आती है तो फौरन उन तक पर्यवेक्षक स्तर के पदाधिकारी नहीं पहुंच पाएंगे। ताकि उनकी समस्याओं का समाधान त्वरित किया जा सके। अवैध या अधिक वसूली की शिकायत पिछली बार सामने आ चुकी है। विभिन्न प्लेटफॉर्म पर खानपान के कई स्टॉल हैं, जहां से अधिक वसूली की शिकायत आम बात है। बोतलबंद पानी की बात करें या फिर किसी और भी खाद्य पदार्थों की तो स्टॉल पर कार्य करने वाले स्टाफ के द्वारा तीर्थयात्रियों से अधिक कीमत वसूलने से नहीं डरते हैं।

हालांकि हर यात्री इतने पढ़े लिखे नहीं होते हैं कि वे ट्वीट कर शिकायत दर्ज कराएंगे। वहीं जल्द पिंडदान करने के चक्कर में अधिक कीमत वसूली की शिकायत दर्ज कराने की जहमत नहीं उठाना चाहते हैं। इसलिए इन सभी चीजों पर बारीकी से नजर रखनी होगी। ताकि गयाजी से कोई गलत संदेश न जाए। पिछले साल डीलक्स शौचालय से ऐसी शिकायत आई थी। जिसमें जिलाधिकारी को इसके लिए गया जंक्शन पर आना पड़ गया था।
फिलहाल मेला शुरू होने में 14-15 दिन ही शेष बचे हुए हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए शेष समय में इन समस्याओं को दूर कर लेना या इस दिशा में कदम उठाना जरूरी है।

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