टिकारी संवाददाता: धान परती भूमि प्रणाली में वातावरण अनुकूल धान एवं अरहर की प्रभेद का बुधवार को गुलरियाचक में प्रत्यक्षण किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के निदेशक डा० अनूप दास के मौजूदगी में धान-परती भूमि निवारण कार्यक्रम के तहत धान के स्वर्ण श्रेया एवं अरहर आई. पी. एफ. 203 प्रजाति के उन्नत प्रभेद का प्रत्यक्षण किया गया। कुल 50 एकड़ क्षेत्रफल में धान एवं 25 एकड़ क्षेत्रफल में अरहर के प्रभेद का प्रत्यक्षण किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, गया प्रमुख ई० मनोज कुमार राय ने धान के उन्नत प्रभेद स्वर्ण श्रेया की जानकारी देते हुए बताया कि कम अवधि 115-120 दिन में उपज देती है एवं वातावरण अनुकूल प्रभेद है।
संस्थान के तनकीकी पदाधिकारी राम कुमार मीना एवं शोधकर्ता बुद्ध प्रिय मौर्य ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऊंची जमीन जंहा किसान अन्य फसल नहीं उगा सकते वंहा अरहर की फसल कारगर सावित होगी। इस अवसर पर संबंधित किसान के खत से मृदा नमूना भी एकत्रित किया गया। कार्यक्रम में गांव के मुख्य सहयोगी आशीष कुमार एवं रविन्द्र यादव ने बताया कि स्वर्ण श्रेया धान की प्रति हेक्टेयर उपज 40-45 क्विंटल है। मौके पर जितेन्द्र विंद, रामलखन सिंह, आशीष कुमार सिंह, दिनेश चंद्र, जितेन्द्र कुमार, राजेश्वर प्रसाद, मनीष कुमार आदि किसान मौजूद थे।