जीबीएम कॉलेज की प्रोफेसरों ने सीयूएसबी में सीखे आपदा प्रबंधन के महत्वपूर्ण तरीके

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जीबीएम कॉलेज में भी छात्राओं को दी जायेंगी प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रहने संबंधित जानकारियाँ

गया। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर एवं अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ रुखसाना परवीन, गृहविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ प्रियंका कुमारी, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रीति शेखर एवं इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ अनामिका कुमारी ने दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, टिकारी में जलवायु परिवर्तन एवं जीवन केन्द्र, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), भारत सरकार एवं बिहार आपदा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में “मेनस्ट्रीमींग डिजैस्टर रिस्क रिडक्शन (डीआरआर) एण्ड क्लाइमेट चेंज एडेप्टेशन (सीसीए) मीजर्स इन्टू डेवलपमेंट प्रोग्राम” विषय पर आयोजित चार-दिवसीय प्रशैक्षणिक कार्यक्रम-सह-कार्यशाला में भाग लिया। कॉलेज की जन संपर्क अधिकारी-सह-अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बतलाया कि कार्यशाला में बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, सूखा, अगलगी, भगदड़, सर्पदंश, वज्रपात, आँधी-तूफान, महामारी, चक्रवात, लू, शीतलहर, रेल तथा सड़क दुर्घटनाओं जैसी प्राकृतिक तथा आकस्मिक आपदाओं के समय हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गयीं, जिन्हें छात्र-छात्राओं एवं समाज के सभी लोगों से साझा करने की जरूरत है।

कार्यशाला में एनडीआरएफ की टीम द्वारा बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, सड़क तथा रेल दुर्घटनाओं के दरम्यान लोगों तक पहुँचायी जाने वाली सहायताओं का प्रभावशाली प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला को सीयूएसबी के माननीय कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह, एनआईडीएम की सीनियर कन्सल्टेंट डॉ. गरिमा अग्रवाल, जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. के के शर्मा, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, पटना से आये विनय कुमार, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मनजीत सिंह सहित देश के 20 विश्वविद्यालयों से आमंत्रित विद्वान प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों एवं अनुभवी कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया। पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन, वीडियो तथा विश्लेषणात्मक आँकड़ों द्वारा प्रतिभागियों को पर्यावरणीय असंतुलन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं के खतरों के बारे में समझाया गया। आपदा तथा आकस्मिक परिस्थितियों में उठाये जाने वाले व्यक्तिगत एवं सामूहिक कदमों पर प्रकाश डाला गया।

डॉ रश्मि ने कार्यशाला को अत्यंत ज्ञानवर्द्धक तथा लाभप्रद बतलाते हुए कहा कि हम सभी को भविष्य में घटने वाली सभी तरह की प्राकृतिक आपदाओं एवं दुर्घटनाओं से निबटने के लिए पहले से ही शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से तैयार रहने की जरूरत है। कॉलेज पीआरओ डॉ रश्मि ने बताया कि आने वाले दिनों में प्रधानाचार्य डॉ. सहदेब बाउरी के संरक्षण में गौतम बुद्ध महिला महाविद्यालय में भी कार्यशाला में शामिल प्राध्यापिकाओं द्वारा छात्राओं को आपदाओं से सुरक्षित रहने संबंधित जानकारियाँ दी जायेंगी, ताकि वे भी अपने घर, परिवार और समाज के लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से जूझने हेतु तैयार रहने को प्रेरित कर सकें। हमें बढ़ते वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण पर भी रोक लगाने की जरूरत है, अन्यथा यह समस्या भी एक दिन प्राकृतिक आपदा का रूप ले सकती है। ज्ञातव्य है कि आपदा प्रबंधन का उद्देश्य आपदाओं के प्रभाव को कम करने के साथ जीवन, संपत्ति और बुनियादी ढांचे के नुकसान को न्यूनतम करना है। यह समुदायों के लचीलेपन को बढ़ाने और आपात स्थिति के दौरान विभिन्न हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करने के लिए तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति और शमन पर केन्द्रित है।

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