✍️देवब्रत मंडल
‘गयाजी’ मोक्ष और ज्ञान की पावन धरा के रूप में जगत में विख्यात है। इस गयाजी की धरती पर बाहर से आने वाले लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए तर्पण और बहुत कुछ अर्पण करने के लिए सालों भर आते रहते हैं। वहीं देश विदेश से लोग ज्ञान की भूमि बोधगया आना जाना करते ही रहते हैं। कोई सड़क मार्ग से कई रेलमार्ग से तो कुछ हवाई मार्ग से आते हैं। रेलमार्ग से आने वाले गया जंक्शन पर उतरते हैं और इसी जंक्शन से ट्रेनों से स्वदेश को लौट जाते हैं।
अत्याधुनिक गया जंक्शन की योजना में शवगृह का कोई स्थान सुनिश्चित नहीं
गया जंक्शन पर विकास कार्य द्रुत गति से चल रहा है। इसे अंतरराष्ट्रीय लूक के साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। गया जंक्शन आने वाले कुछ दिनों में एक भव्य और सुंदर होने के साथ साथ अत्याधुनिक यात्री सुविधाओं से लैस होगा। इन सभी के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान शवगृह की रूपरेखा तय नहीं की गई है। जिस ऐजेंसी के माध्यम से यहां विकास का कार्य जारी है, उन्हीं में से एक ने अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि फिलहाल जिस योजना पर कार्य हो रहा है उसमें कहीं भी Mortuary यानी ‘शव गृह’ का स्थान सुनिश्चित नही किया गया है। जिसकी सख्त जरूरत भी है। इसे भी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होना चाहिए।
वर्तमान शवगृह केवल नाम का है
बहरहाल जो वर्तमान में शव गृह है, उसे शव गृह केवल नाम दे दिया गया है। बाकी कुछ नहीं ऐसा की यहां रखे जा रहे शवों को सुरक्षित रखा जा सके। जो वर्तमान में गया जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या 01 पर दिल्ली एंड के ठीक छोर पर है। केवल यहां चारो तरफ से टिन के एसवेस्टर से यूं ही घेर दिया गया है। यहीं पर आरएमएस कार्यालय संचालित हो रहा है। कुछ दूरी पर ही पार्सल कार्यालय है। और तो और एक नम्बर प्लेटफॉर्म पर रुकने वाली सभी ट्रेनों के इंजन ठीक इसी शवगृह के पास ही रुकते हैं। ऐसे में इस शवगृह से उठने वाली दुर्गंध से हर कोई परेशान हैं।
शवों को चूहे कुतर डालते हैं
इस शव गृह में रखी जाने वाली लाशों को मोटे मोटे चूहे कुतर डालते हैं। गया जंक्शन पर और रेल थाना के अधिकार क्षेत्रों से बरामद लाशों को रखने वाले लखन, कालिया ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद अज्ञात व्यक्ति के शवों को इसी शव गृह में नियमानुसार 72 घन्टे रखा जाता है। इतने दिनों तक रखे जाने वाले शवों को चूहे कुतर डालते हैं। देखा जाए जो मानवता के नाते लाशों के साथ ऐसा होना किसी भी इंसान के लिए गंवारा नहीं।
बहरहाल जो इस शव गृह का सुरते-हाल है, वो मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देता है।