गया। राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था “शब्दवीणा” ने मगही कला महोत्सव में अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। चित्रकला, एकल लोकगीत गायन, और समूह लोकगीत गायन में शब्दवीणा के कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन किया, जिसे दर्शकों से भरपूर सराहना मिली।
संस्था की संस्थापक-सह-राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रो. रश्मि प्रियदर्शनी के कुशल संयोजन में शब्दवीणा के कलाकारों ने अपने कला कौशल का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में शब्दवीणा संगीत कला मंच की युवा चित्रकार राखी कुमारी ने मगध की समृद्ध संस्कृति को अपने सुंदर और जीवंत चित्रों के माध्यम से उकेरा। उन्होंने बिहार के माननीय उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा का चित्र बनाकर उन्हें भेंट किया, जो इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बना।
कार्यक्रम के दौरान, शब्दवीणा की गया जिला साहित्य मंत्री चाँदनी बसोया के नेतृत्व में हर्षिता मिश्रा, प्रगति मिश्रा, अंजली, वैष्णवी, खुशी कुमारी, अंजली कुमारी, और वैष्णवी श्रीवास्तव ने “पिया मेहंदी मंगा द मोती झील से, जाके साइकिल से ना” जैसे मगही लोकगीत की सामूहिक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद, चाँदनी बसोया ने “रेलिया बैरन पिया को लिये जाये रे, रेलिया बैरन” गीत की एकल प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही बटोरी। तबले पर संगत दे रहे थे शब्दवीणा के बिहार प्रदेश कोषाध्यक्ष और प्रसिद्ध तबला वादक दिनेश कुमार, जिन्होंने अपनी उत्कृष्ट तबला वादन से इस आयोजन को और भी यादगार बना दिया।
संस्कार भारती की ओर से प्रो. सुबोध कुमार झा, जितेंद्र कुमार, और मानसी सिंह ने डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी, तबला वादक दिनेश कुमार, और शब्दवीणा की पूरी टीम को मेमेंटो, प्रशस्ति प्रमाण पत्र, और अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया।
शब्दवीणा के युवा कलाकारों की इस शानदार प्रस्तुति पर संस्था के राष्ट्रीय परामर्शदाता मंडल के वरिष्ठ सदस्य राजन सिजुआर, राष्ट्रीय संयोजक कौशल किशोर त्रिवेदी, राष्ट्रीय सचिव महावीर सिंह वीर, राष्ट्रीय उप सचिव राजमणि मिश्र, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष कन्हैयालाल मेहरवार, राष्ट्रीय प्रचार मंत्री डॉ. रवि प्रकाश, बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र कुमार, उत्तर प्रदेश साहित्य मंत्री अनुराग सैनी ‘मुकुंद’, अजय वैद्य समेत पूरे शब्दवीणा परिवार ने कलाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
शब्दवीणा के कलाकारों की इस शानदार प्रस्तुति ने न केवल मगही कला महोत्सव को खास बनाया बल्कि शब्दवीणा के कला और संस्कृति के प्रति समर्पण को भी नए आयाम दिए।