बोधगया: मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग ने 27 और 28 सितंबर 2024 को “संस्कृति, रचनात्मक कला, साहित्य” पर एक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया, जो सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस बहुविषयक संगोष्ठी में देश-विदेश के विद्वानों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से भाग लिया, जिसका उद्देश्य कला, साहित्य और संस्कृति के आपसी संबंधों को वैश्विक दृष्टिकोण से समझना था।
उद्घाटन सत्र: शैक्षणिक आदान-प्रदान की दिशा में एक मजबूत कदम
संगोष्ठी का उद्घाटन 27 सितंबर को मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी. शाही द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो. बी.आर.के. सिन्हा ने समकालीन शिक्षा में सांस्कृतिक अध्ययन के महत्व को रेखांकित किया और संगोष्ठी की सराहना की। उन्होंने इसे वैश्विक सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
मुख्य वक्ता प्रो. प्रभात कुमार सिंह ने साहित्य, संस्कृति और रचनात्मक कला के गहरे अंतर्संबंध पर चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से साहित्य में पर्यावरण अध्ययन और अनुवाद की जटिलताओं को रेखांकित करते हुए मातृभाषा और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने का संदेश दिया।
तकनीकी सत्र: वैश्विक विद्वानों का मंच
संगोष्ठी के तकनीकी सत्रों में विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, जो संस्कृति, रचनात्मक कलाओं और साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित थे। इनमें से प्रमुख सत्रों में प्रो. रिजवान खान, प्रो. स्तुति प्रसाद और डेनमार्क के अंतरराष्ट्रीय वक्ता डॉ. ताबिश खैर ने महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
प्रो. रिजवान खान ने “भारतीय ज्ञान प्रणाली” के संदर्भ में बिहार की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने पर जोर दिया, जबकि डॉ. ताबिश खैर ने “लोकतंत्र, कट्टरवाद और साहित्य” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। प्रो. स्तुति प्रसाद ने “डिजिटल मानविकी” पर बात की, जिसमें उन्होंने डिजिटल युग में डेटा संरक्षण और उससे जुड़ी चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की।
अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता और विविध दृष्टिकोण
इस संगोष्ठी में डेनमार्क, लीबिया, सऊदी अरब, मलेशिया, नेपाल और श्रीलंका जैसे कई देशों के विद्वानों की भागीदारी ने इसे एक अंतर्राष्ट्रीय मंच बना दिया। विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों में साहित्य और कला की भूमिका पर चर्चा करते हुए, विद्वानों ने वैश्विक दृष्टिकोण से सांस्कृतिक विरासत और साहित्यिक आंदोलनों पर विचार-विमर्श किया।
समापन सत्र: रचनात्मकता और संस्कृति का सम्मिलन
28 सितंबर को संगोष्ठी के समापन सत्र में आयोजन सचिव प्रो. संजय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस दौरान सभी प्रतिभागियों ने रचनात्मकता और संस्कृति के वैश्विक संदर्भ में महत्व को समझा और विद्वानों ने एक दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान किया।
दो दिवसीय संगोष्ठी में कुल 300 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया, जिसमें से 250 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। यह आयोजन वैश्विक शैक्षणिक आदान-प्रदान और संस्कृति, कला और साहित्य के अध्ययन के प्रति एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ।
मगध विश्वविद्यालय की यह बहुविषयक संगोष्ठी न केवल एक सफल अकादमिक आयोजन थी, बल्कि इसने विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों को एक साथ लाकर सांस्कृतिक और साहित्यिक अध्ययन में एक नए युग की शुरुआत की। आयोजकों ने भविष्य में भी ऐसे अंतर्राष्ट्रीय संवादों को जारी रखने का संकल्प लिया, जिससे वैश्विक सांस्कृतिक समझ और सृजनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।