गया में कम मतदान के कई कारण: बीएलओ ने भी अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई

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✍️ देवब्रत मंडल

गया संसदीय क्षेत्र में पिछली बार की तुलना में इस बार 19 अप्रैल को हुए मतदान का प्रतिशत कम रहा। सीधे तौर पर कहें तो कम वोट पड़े। यहां 52% मतदान की जानकारी जिला प्रशासन द्वारा शुक्रवार की देर शाम प्रेस वार्ता में दी। हालांकि जिला निर्वाची पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने यह भी कहा कि मतदान का प्रतिशत कुछ बढ़ भी सकता है क्योंकि कुछ विस क्षेत्रों के मतों के आंकडें का आंकलन नहीं प्रेस वार्ता के वक़्त तक नहीं हो सका। लेकिन प्रेस वार्ता के वक़्त जो जानकारी दी गई थी उसके अनुसार 52% वोट पड़े हैं। जो कि गत 2019 के चुनाव से करीब 4% कम है। इसके कम होने के एक नहीं कई कारण को देखने को मिले।

गर्म हवा की थपेडों ने मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक आने से रोका

अधिकतर मतदान केंद्रों पर प्रशासन की ओर से किए जाने वाले दावे के अनुसार सुविधाओं की कमी नजर आई। देखने को यह भी मिले कि गया जिले के 42-43 डिसे तापमान के बीच चल रही गर्म हवा की थपेडों ने मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक आने से रोका। वहीं शादी व्याह के शुभ मुहूर्त के कारण भी मतदाता वोट करने नहीं आ पाए। हालांकि फसलों की कटाई ने मतदान को प्रभावित उतना नहीं कर सका। फिर भी किसानी कार्य में लगे वोटर मतदान में रुचि नहीं दिखाई। कड़ी धूप और गर्म हवा एक कारण था कि लोग घरों से निकलने से परहेज किया।

अधिकतर मतदाता के घर तक बीएलओ ने पर्ची नहीं पहुंचाया

कई मतदान केंद्र के आसपास से कम मतदान की एक सबसे बड़ी वजह जो सामने आई वो ये कि 40-45% मतदाताओं के घर तक बीएलओ द्वारा मतदाता पर्ची नहीं पहुंचाया जा सका था। कई केंद्रों पर तो बीएलओ देखने को नहीं मिले। कई मतदाताओं के पास वोटर आईडी कार्ड रहते हुए भी मतदाता सूची में उनके नाम नहीं मिल रहे थे। कुछ शिकायत ये भी सुनने को मिले कि बीएलओ और नेताओं की सांठगांठ के कारण पर्ची मतदाता तक नहीं पहुंचा था।

सरकारी तंत्र के भरोसे रहने वाले लाखों मतदाता मतदान से वंचित रह गए

इस बार गया संसदीय क्षेत्र में चुनाव को लेकर जो सरकार/प्रशासन की ओर से मतदाताओं के लिए पर्ची देने की व्यवस्था की गई थी, इससे मतदाताओं में घोर निराशा देखने को मिले। सभी मतदाताओं के घर तक पर्ची पहुंचाने की जिम्मेदारी जिन्हें दी गई, उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन कागज पर दिखाया, जबकि जमीनी हकीकत थी कि मतदाता बूथ पर से बिना वोट डाले ही लौट गए। कारण कि उन्हें मतदाता पर्ची नहीं मिल पाया था। वहीं प्रत्याशियों के समर्थक द्वारा लगाए गए चुनावी स्टॉल पर मतदाता सूची की कमी थी। जिन्होंने किसी तरह यह व्यवस्था कर भी रखी थी तो अनुभवी कार्यकर्ताओं के कारण कई मतदाताओं को पर्ची नहीं दे पा रहे थे।

‘इलेक्ट्रॉल सर्च’ वेबसाइट पर लोग अपना अपना पर्ची खोज रहे थे

भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं की सुविधा के लिए अपने वेबसाइट ‘इलेक्ट्रॉल सर्च’ लांच कर रखा था। जिसके माध्यम से कई मतदाता अपना अपना वोट कर पा रहे थे। इसके लिए प्रत्याशियों के समर्थक एंड्रॉइड मोबाइल या लैपटॉप पर खोजकर मतदाताओं को उनके बूथ संख्या, मतदान केंद्र, मतदाता क्रम संख्या आदि ढूंढकर दिया तो वे वोट कर सके। जिससे मतदान का प्रतिशत कुछ बढ़े।

बहरहाल, चुनाव शांति तरीके से संपन्न हुआ। ये जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। गया में हिंसक चुनाव का इतिहास रह चुका है। नक्सली गतिविधियों के कारण चुनाव में वोट करने से पहले मतदाता काफी कुछ सोचा करते थे लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में इसकी कहीं भी गुंजाइश नहीं रहने दिया गया। मतदाताओं ने कई किमी दूर जाकर भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया, ये बहुत बड़ी बात है चुनावी हिंसा की खबर कहीं से भी नहीं आई।

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