क्षेत्र के लोगों को सताने लगा है कोरोना संक्रमण के डर
टिकारी संवाददाता: पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण की संख्याओं में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है। यह अलग बात है कि जिले में इक्के दुक्के छोड़ संक्रमितों की संख्या न के बराबर है। लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों और वैक्सिनेशन का कार्य सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में पिछले लगभग 8 माह से पूरी तरह ठप है। साथ ही संक्रमण की स्थिति में इससे निपटने के उपायों के प्रति भी स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह बेफिक्र है। हैरत की बात यह है कि अनुमंडलीय अस्पताल सहित किसी भी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में कोरोना संक्रमण से बचाव का कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। और ना ही किसी प्राइवेट अस्पताल में उपलब्ध है। ऐसे में जो अभी तक वैक्सीन नही ले सके वह चाह कर भी वैक्सीन नही ले सकते। साथ ही वैसे वरिष्ठ नागरिक जो किसी कारण बस अपना बूस्टर डोज नहीं ले सके हैं उनमें संक्रमण का खतरा हो सकता है। वैसे बच्चे जिनकी आयु 12 वर्ष की हो रही है उन्हें भी वैक्सीन नहीं लेने के कारण संक्रमण का खतरा बना हुआ है। सरकार की इस प्रकार की लापरवाही आने वाले दिन में करोना संक्रमण पर भारी पड़ सकता है। वैसे नागरिक जिन्हें फेफड़े की बीमारी है जैसे अस्थमा अथवा जिन की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है उनपर कभी भी संक्रमण के खतरे का बादल मंडरा सकता है। ऐसे लोगों को अभी काफी सतर्क रहने की जरूरत है एवं बाहर निकलने पर मास्क लगाकर एवं समय-समय पर हाथ हो अच्छे से धोने की आवश्यकता है।
अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार 8 सितंबर 2022 को 480 लोगों को वैक्सिनेट करने के लिए 48 वायल को-वैक्सीन और 970 लोगों को वैक्सिनेट करने के लिए 100 वायल कोविड शील्ड की आपूर्ति की गई थी। जबकि 18 वर्ष के बच्चों के लिए 30 अगस्त को 60 वायल कोरवो वैक्स की आपूर्ति की गई थी। एक अस्पताल कर्मी ने बताया कि 8 नवंबर 2022 से कोविड शील्ड, 29 दिसंबर 2022 से को-वैक्सीन और 12 नवंबर 2022 से कोर्वोभैक्स वैक्सीन का एक भी वायल या डोज नही है। यह अलग बात है कि जनवरी से अबतक 6160 लोगों के रैपिड एंटीजन और 4400 आरटीपीसीआर से कोरोना जांच में एक भी व्यक्ति पोजेटिव नही पाए गए हैं। केंद्र सरकार और पीएम मोदी द्वारा कोरोना से बचाव का किए गए उपायों का चाहे जितना भी श्रेय ले लें लेकिन वर्तमान में हकीकत कुछ और वयां कर रहा है। जिले के एक स्वास्थ्य कर्मी की माने तो जांच में पोजेटिव पाए जाने पर भी रिपोर्ट निगेटिव ही देने का वरीय स्वास्थ्य अधिकारियों का सख्त हिदायत है। ऐसे में कहा जा सकता है कोरोना के नाम पर सरकारी राशि के बंदरबांट का खेल शुरू से लेकर आज तक जारी है।