देवब्रत मंडल
पटना-धनबाद वाया गया गंगा दामोदर एक्सप्रेस में एक महिला यात्री के साथ छेड़खानी के मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। आरोपी टीटीई की पत्नी ने पीड़िता से माफी मांगते हुए केस को आगे न बढ़ाने की अपील की है।
पीड़िता का साहस और संघर्ष
पीड़िता, जो बोधगया की रहने वाली हैं और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय अंतर्गत पटना के एक कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं, ने मगध लाइव से विशेष बातचीत में बताया कि आरोपी टीटीई की पत्नी बार-बार फोन करके अपने पति की गलती के लिए माफी मांग रही हैं और केस को खत्म करने की गुजारिश कर रही हैं। इतना ही नहीं, अन्य टीटीई भी पीड़िता को माफ कर देने की अपील कर रहे हैं, वादा करते हुए कि ऐसी गलती फिर कभी नहीं होगी।
क्या आरोपी पर लगे आरोप झूठे हैं?
पीड़िता का बयान रेल पुलिस के सामने दर्ज किया गया है, जिसमें उन्होंने घटना के सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से रखा है। बयान से ऐसा कहीं नहीं लगता कि पीड़िता ने टीटीई पर झूठे आरोप लगाए हैं। पीड़िता की हर बात घटना का समर्थन करती नजर आती है, जो उनकी सच्चाई की ओर इशारा करती है।
पीड़िता की अपील – “किसी और के साथ न हो ऐसा”
पीड़िता का कहना है कि “हम जैसी लाखों लड़कियां ट्रेन में अकेले सफर करती हैं। अगर रेलकर्मी ही ऐसा व्यवहार करने लगें, तो हम अपनी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें? टीटीई ने जो किया, वह किसी और के साथ न हो, इसलिए आवाज उठाना जरूरी है।” उनके इस साहसिक कदम की चारों तरफ प्रशंसा हो रही है।
महिलाओं की सुरक्षा पर बढ़ती चिंताएं
पश्चिम बंगाल में हाल ही में एक महिला चिकित्सक के साथ हुई घटना की निंदा हर ओर हो रही है, और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक बहस छिड़ गई है। गंगा-दामोदर एक्सप्रेस की घटना में भी, पीड़िता के बयान के आधार पर गया रेल थाना में मामला दर्ज कर लिया गया है। इस मामले की जांच एक महिला पुलिस पदाधिकारी कर रही हैं, और कानून और न्यायपालिका अपना काम करेंगे।
आगे की राह
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस की जांच में कितनी गहराई से आरोपी टीटीई की गलती साबित होती है। न्यायालय का फैसला गवाहों और सबूतों के आधार पर ही होगा।
संक्षेप में
29 अगस्त 2024 की रात पटना से गया आ रही गंगा दामोदर एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में घटी इस घटना ने समाज को महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीरता से सोचने को मजबूर कर दिया है। बोधगया निवासी 20 वर्षीय पीड़िता ने साफ कहा है कि “ट्रेन में रोजाना सफर करने वाली लड़कियां यदि डर के कारण यात्रा करना छोड़ देंगी, तो यह गलत है।”
यह मामला समाज के लिए एक गंभीर संदेश है – अगर हम अपने परिवेश को महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं बना सकते, तो हमें आत्ममंथन की जरूरत है।