देवब्रत मंडल
20 मई की प्रस्तावित अखिल भारतीय हड़ताल को सफल बनाने के लिए एक गोष्ठी का आयोजन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ कार्यालय में हुई। ट्रेड यूनियन के नेता जयवर्धन कुमार ने बताया कि सभा को मनोज चौधरी, सीटू राज्य पदाधिकारी, कौशल किशोर, आँगनवाड़ी संघ, महेश पासवान, सेंट्रल वेयर हाउस कॉर्पोरेशन, मधु कुमारी, आंगनवाड़ी संघ, रामखेलावन दास , खेत मजदूर यूनियन, साथी अबीर अधिकारी, ट्रेड यूनियन नेता , कपिलदेव प्रसाद सिन्हा, अरविन्द कुमार सिन्हा, साथी शमीम अहमद, प्रो. अली इमाम, अजय वर्मा, रितेश पाठक,सुशांत रॉय, बिमल चंद्र मनीष आदि ने संबोधित किया। सभा मे योगेश्वर नाथ मिश्रा,अनिल कुमार, प्रिंस कुमार,शशि कुमार,अज़हर हुसैन सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। उन्होंने बताया सभी ने प्रस्तावित हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया।
मुख्य माँगें :
- सभी चार श्रम संहिताओं को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।
- पीएफआरडीए अधिनियम को निरस्त किया जाए तथा एनपीएस / यूपीएस को समाप्त किया जाए। फंड प्रबंधकों को निर्देश दिया जाए कि राज्य सरकारों द्वारा जमा की गई राशि लौटाई जाए; सभी अंशधारकों को ईपीएस-95 के तहत परिभाषित लाभ पेंशन प्रणाली में लाया जाए।
- सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए और संविदा / आउटसोर्स / दैनिक वेतनभोगी रोजगार को समाप्त किया जाए। राज्य सरकार के विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में रिक्त पदों को नियमित आधार पर भरा जाए।
- सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण / निगमीकरण तथा सरकारी विभागों के संकुचन को रोका जाए।
- राज्य वेतन आयोगों का गठन किया जाए तथा आठवें केन्द्रीय वेतन आयोग के लाभ सुनिश्चित किए जाएं। प्रत्येक पाँच वर्षों में वेतन पुनरीक्षण को अनिवार्य बनाया जाए।
- लंबित महँगाई भत्ता (डीए) की सभी किस्तें तथा जब्त किए गए 18 महीने के डीए बकायों को अविलंब जारी किया जाए।
- सरकार के सहयोग से एक समग्र स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जाए, जिससे सभी अस्पतालों में कर्मचारियों, पेंशनरों एवं संविदा कर्मियों को कैशलेश इलाज की सुविधा प्राप्त हो।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को समाप्त किया जाए, जो शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण को बढ़ावा देती है।
- संविधान के अनुच्छेद 310, 311 (2) (a), (b) और (c) को निरस्त किया जाए, जो कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
- संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता की रक्षा की जाए तथा सभी प्रकार की सांप्रदायिकता के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया जाए।
- केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंधों को पुनर्परिभाषित किया जाए और सहकारी संघवाद के सिद्धांत की रक्षा की जाए।