✍️ वरीय संवाददाता , देवब्रत मंडल
आज दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान में एक लेखक के स्वतंत्र विचार (आलेख) को पढ़ने के बाद यह खबर सोशल साइट्स पर लिखने की जरूरत है कि यदि कोई अखबार खबर नहीं परोस रहा हो तो क्या सोशल मीडिया भी चुप्पी साधे हुए रह जाए? Magadhlive ने हमेशा सच लिखने की कोशिश की है। आगे भी हमारी टीम की कोशिश यही रहेगी। बात हम मुद्दे की करते हैं। कलम की नोक कइयों को चुभ जा रही है। चुभेगी भी क्यों नहीं, सच से कुछ देर के लिए मुंह मोड़ा जा सकता है पर सच बदल नहीं सकता। बात गया नगर निगम की हम कर रहे हैं। पिछले कई महीनों से इस स्वायत्त शासन के अंग बने लोगों को magadhlive की खबरों से काफ़ी तकलीफ़ हो रही है। लेकिन, कलम का मूल कर्तव्य और दायित्व है कुछ न कुछ लिखते रहना, वर्ना लिखने योग्य कलम उसी प्रकार कचरे के डिब्बे में पड़ी मिलेगी, जिस प्रकार अन्य अनुपयोगी वस्तुएं डाल दी जाती है। मणिपुर के बारे में जो आलेख हिंदुस्तान समाचार पत्र में प्रकाशित करने की हिम्मत इस लेखक ने की है, उसकी प्रशंसा करनी होगी। वर्ना अखबारों के भरोसे देशवासियों को सूचना तंत्र से ऐसे नहीं मरहूम किया जाना चाहिए।
स्वतंत्र मीडिया की परिभाषा को एक बार फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। इसके पहले सोशल साइट्स, वेब पोर्टल के माध्यम से magadhlive ने लगातार गया नगर निगम में चल रही गतिविधियों को अपनी लेखिनी के माध्यम से लोगों तक सामने लाया तो मेरी कलम की स्याही से कई लोग विचलित हो गए। एक नहीं कई बार लिखने से रोका गया। अखबारों में खबरें नहीं आई पर magadhlive में आती रही। चाहे चुनाव से संबंधित रही या फिर अंदर तहखाने में चल रही गतिविधियों की। इसमें कोई दो राय नहीं कि magadhlive का एक बहुत बड़ा पाठक वर्ग है, जो गया नगर निगम के अंदर चल रहे सच को जानने के लिए व्याकुल रहते हैं। हमने 11, 22 जुलाई और इसके पहले एक प्रेस कांफ्रेंस की खबर लोगों तक पहुंचाई। इसके बाद कुछ लोग मेरे घर पर आकर खबर नहीं लिखने की बात कही। एक प्रकार से मनोवैज्ञानिक दवाब डाला गया। मेरे पास आने वाले लोगों ने जो बातें कही उसे सुनकर अचंभित रह गया! आए हुए लोगों का कहना था कि “जब कोई अखबार वाले नहीं लिख रहे हैं तो आप क्यों लिख रहे हैं। क्या कोई व्यक्तिगत जीवन में किन्हीं को लेकर परेशानी है?” इस प्रश्न के जवाब में मैंने सिर्फ यही कहा कि अखबार वाले क्या कर रहे हैं या कर सकते हैं, मुझे नहीं मालूम पर जब खबर है तो magadhlive खबर लिखेगा।
इस पर उनका कोई जवाब नहीं था। पर विनती की गई कि न लिखें तो अच्छा लगता। इसके बाद कॉन्फ्रेंस कॉल पर लिया गया हमें। कहा गया कि निगम के अलावा कोई और क्षेत्र से खबरें नहीं दिखाई देती है magadhlive की टीम को। हमने कहा- magadhlive खबर लिखने के लिए स्वतंत्र है और अन्य क्षेत्रों से भी खबरें आती रहती है, जिसे शायद आप लोग नहीं देखना पसंद करते हैं। इसके बाद मुझे एक और नई जानकारी मिली कि कुछ अखबार वाले अपने सूत्रों से यह कह रहे हैं कि मुझे अंदर बाहर चल रही गतिविधियों की जानकारी क्यों नहीं दी जाती है, मुझे भी बताएं, लिखूंगा। खैर, इस पर मैं ज्यादा नहीं कुछ कह सकता हूं। क्योंकि यह उनके हाउस का मामला है।
बहरहाल, 27 जुलाई भी इसी बीच गुजर गया। इसके आगे क्या हो रहा है या इस बीच क्या क्या हुआ, ये सब पता है magadhlive की पूरी टीम को। आगे जो होगा, उससे सभी को भी अवगत कराने की कोशिश होगी। फिलहाल, भविष्य के गर्त में क्या छिपा है? भला ये कैसे magadhlive को पता होगा। यदि कुछ लिख दूं तो युधिष्ठिर की तरह ‘कालजेयी’ की संज्ञा देते हुए भी लोग नहीं चूकेंगे।