देवब्रत मंडल
गया। बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उनके प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम को लेकर गया के एक निजी होटल में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में किशोर न्याय अधिनियम 2015 और पॉक्सो एक्ट की विस्तृत जानकारी दी गई।
इस अवसर पर विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय परिषद, पर्यवेक्षण गृह, चाइल्ड हेल्पलाइन एवं रेलवे चाइल्ड हेल्प डेस्क, विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
किशोर न्याय अधिनियम 2015: एक आवश्यक कानूनी ढांचा
किशोर न्याय अधिनियम 2015 भारत में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसके तहत बच्चों को न्याय प्रणाली में विशेष सुरक्षा और समर्थन प्रदान किया जाता है। इस कानून के तहत निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
- बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार।
- बच्चों के शोषण और दुर्व्यवहार से बचाव के लिए सख्त प्रावधान।
- किशोर अपराधियों के पुनर्वास और सुधार के लिए विशेष व्यवस्था।
पॉक्सो एक्ट: बच्चों के यौन शोषण के विरुद्ध सुरक्षा कवच
प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पॉक्सो) एक्ट, भारत में बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए लागू किया गया एक सख्त कानून है। इसके तहत:
- बच्चों के साथ किसी भी प्रकार के यौन शोषण को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
- ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की व्यवस्था की गई है।
- पीड़ित बच्चों को समुचित सुरक्षा और पुनर्वास का प्रावधान किया गया है।
कार्यक्रम में जागरूकता और क्रियान्वयन पर विशेष चर्चा
प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 और पॉक्सो एक्ट की विस्तृत जानकारी दी और इनके प्रभावी क्रियान्वयन के तरीकों पर चर्चा की। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य संबंधित हितधारकों को इन कानूनों के प्रति जागरूक करना और बच्चों के अधिकारों की रक्षा में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना था।
इस अवसर पर शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में यह भी जोर दिया गया कि समाज में बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।