न्यूज डेस्क: गया के वरीय पुलिस अधीक्षक आशीष भारती के निर्देशन में तीन नए अपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर पुलिस अधिकारियों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। यह कार्यक्रम सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार में शुरू हुआ और इसका उद्घाटन पुलिस महानिरीक्षक, मगध क्षेत्र द्वारा किया गया।
1 जुलाई, 2024 से पूरे देश में इन तीन नए अपराधिक कानूनों को लागू किया जाएगा। ये कानून औपनिवेशिक युग के पुराने कानूनों की जगह लेंगे और भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाएंगे। इन कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बिहार पुलिस मुख्यालय स्तर से एक त्रि-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले चरण में गया पुलिस के अलावा बीएसएपी-03 और विशेष शाखा के लगभग 400 पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में पीटीसी स्तर से लेकर पुलिस अधीक्षक स्तर के सभी पदाधिकारी (कुल 1130 से अधिक) शामिल होंगे।
नए कानूनों का उद्देश्य न्याय व्यवस्था को बेहतर, पारदर्शी और पीड़ित-केंद्रित बनाना है। इन कानूनों के लागू होने से बेहतर न्याय व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
नए कानूनों की कुछ प्रमुख विशेषताएं:
- महिलाओं और बच्चों के संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए, भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को लेकर एक नया अध्याय जोड़ा गया है।
- एफआईआर, केस डायरी, आरोप पत्र और पूरी जांच प्रक्रिया को डिजिटल बनाया गया है।
- मॉब लिंचिंग में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
- पारदर्शिता लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग पर जोर दिया गया है, जैसे तलाशी, बरामदगी, पूछताछ और सुनवाई की रिकॉर्डिंग का प्रावधान।
- जांच और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों को नए कानूनों के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन की विधि से अवगत कराया जाएगा। इससे न केवल न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता आएगी, बल्कि अपराध के पीड़ितों को भी समय पर न्याय मिलने की संभावना बढ़ेगी।