देवब्रत मंडल

ईश्वर कभी कभी ऐसा भी खेल खेलते हैं कि उनकी लीला को समझ पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है। ईश्वर में आस्था रखने वाले व्यक्ति का भाग्य कैसे साथ देता है। ये वही जान सकते हैं जिनके साथ बीता है। बात झारखंड सरकार में गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अवर सचिव के पद पर 30 अप्रैल को अपनी अंतिम सेवा देते हुए सेवानिवृत्त हुए अरविंद कुमार की है।
इनकी नौकरी मिलने की कहानी भी अजीब है
गया के लोको कॉलोनी स्थित क्वाटर नंबर 514/बी में श्री कुमार करीब 14 सालों तक रहे। सेवानिवृत्त होने से कुछ घन्टे पहले इनसे जब नौकरी में आने के बारे में जानना चाहा तो इनकी कहानी सुनकर लगा कि मेहनत करने वाले और ईश्वर के प्रति आस्था रखने वाले का भाग्य कैसे साथ देता है।
बकौल अरविंद कुमार,
एक वाक्या आज मैं आपको शेयर करना चाहता हूं। शायद आप इसे सुनना पसंद करेंगे।
मैं अपनी शिक्षा पूरी कर एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहा था। एक दिन मेरे गांव का एक लड़का मेरा आफिस में आया और एक लिफाफा दिया। बोला- ये आपके पिताजी दिए हैं। लिफाफे पर मेरा एड्रेस तथा भेजने वाले का एड्रेस ‘कार्मिक विभाग, बिहार सरकार’ लिखा था। मैंने सोंचा शायद फिर किसी की पैरवी है। मैं उसे दराज में रख दिया। करीब एक सप्ताह के बाद किसी कार्यवश उसी दराज को खोला तो मेरी नजर उसी लिफाफे पर गयी। मैं उसे खोला, तो उस लेटर में मुझे सर्टिफिकेट जांच के लिए बुलाया गया था। समय केवल तीन दिन बचे थे। मैं काफी असमंजस में पड़ गया। मैं तुरंत गया आये और फिर नवादा गया। एक मित्र ने कहा कि- आपका सहायक प्रशाखा पदाधिकारी में सेलेक्शन हो गया है। इसके बाद फिर और कुछ मित्रों से सम्पर्क किया। एक ने कहा- रुको मेरे पास पेपर(अखबार) है, जिसमें रिजल्ट निकला था। वह दौड़ कर घर जाता है और वह पेपर लाकर देखता है। उसमें मेरा भी नाम था।
निराश और हताश हो चुके थे सेवानिवृत्त अवर सचिव

अरविंद कुमार आगे कहते हैं कि पटना से सभी सर्टिफिकेट के साथ रेजिस्ट्रेशन नंबर भी लाना था। जो कार्मिक विभाग ने पोस्टकार्ड के माध्यम से दिया था। उसे काफी खोजा पर नहीं मिला। अरविंद कुमार कहते हैं- चूंकि एग्जाम तो बहुत देते थे। मैं निराश हो गया। निराश होकर अपने घर से थोड़ा दूर रोड किनारे दातुन से मुँह धो रहा था। अचानक हवा चलती है और सामने के कचरा में से कुछ कागज उड़ कर मेरे सामने आ जाता है। मेरी नजर कचरे में से एक पोस्टकार्ड पर पड़ती है। मैं उसे गौर से देखा तो वह वही था जिसकी मुझे तलाश थी। मैं उसे उठाया और करीब 4 बजे पटना पहुंच गया। फिर मेरे कागजातों की जांच हुई। फिर फाइनल नियुक्ति पत्र मिला। जो पटना हाईकोर्ट के पास तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री श्रीलालू प्रसाद जी के द्वारा सभी चयनित उम्मीदवारों को दिया गया।
कहानी(आपबीती) का मकसद भी बताया इन्होंने
श्री कुमार कहते हैं- इस कहानी को बताने का मकसद यह है कि कभी-कभी किस्मत घसीट कर भी नौकरी के दरवाजे पर पहुंचा देती है। श्री कुमार फिर कहते हैं- आपलोग (लोको कॉलोनी के लोग) याद करते हैं, इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। उन्होंने हमारे बारे में कहा- मैं आपकी मेहनत और यादाश्त का कायल हूँ। आशीर्वचन के रूप में कहा कि- आप काफी तरक्की करें, स्वस्थ रहें, सफलता की ऊंची बुलन्दियों को छुएं यही मेरी कामना है।
किस किस विभागों में दी अपनी अहर्निश सेवाएं
श्री कुमार लोको कॉलोनी, गया में लगभग 14 वर्ष रहे। उन्होंने बताया कि किस किस विभागों में अपनी सेवाएं दी। उन्होंने बताया उनकी पदस्थापन जल संसाधन विभाग, उद्योग विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग, वित्त विभाग तथा सेवानिवृत्त होने तक गृह, कारा एवम आपदा प्रबंधन विभाग के अवर सचिव के पद पर रहा। श्री कुमार मूल रूप से नवादा जिले के रहने वाले हैं।