चेन्नई स्थित उनके आवास पर कुष्ठ रोगियों के हितों को लेकर हुई लंबी बातचीत
देवब्रत मंडल


गया नगर निगम के पूर्व वार्ड पार्षद डॉ विनोद कुमार मंडल पूर्व राष्ट्रपति स्व. आर. वेंकटरमन की पुत्री पद्मा(पदमा) वेंकटरमन से मुलाकात कर पूरे देश में कुष्ठ रोगियों के कल्याण को लेकर लंबी बातचीत की है। डॉ. मंडल बिहार राज्य कुष्ठ कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष हैं। जो चेन्नई जाकर पूर्व राष्ट्रपति स्व. आर. वेंकटरमन की पुत्री पद्मा वेंकटरमन से मिलने उनके आवास पर गए थे। डॉ. मंडल ने बताया कि श्रीमती पद्मा से कुष्ठ रोगियों के साथ अपृश्यता (छुआछूत) और उनकी समस्याओं पर उनकी लंबी बातचीत हुई है। इसके बाद उन्होंने इस कार्य में अपनी तरफ से बढ़-चढ़कर सहयोग करने का भरोसा दिलाई हैं।
पूर्व राष्ट्रपति की पुत्री की संप्रति
श्रीमती पद्मा ग्लोबल कैंसर कंसर्न की ट्रस्टी, वीमेन इंडियन सोसाइटी के अध्यक्ष, गांधी पीस फाउंडेशन, चेन्नई की संरक्षक, रेजिंग स्टार आउटरीच संस्था की चेयरमैन, नेशनल फोरम की सलाहकार, गणोदय पुनर्वास एसोसिएशन की अध्यक्ष के साथ साथ श्रीनिवासा गांधी निलायम संस्था की उपाध्यक्ष भी हैं। सबसे बड़ी बात है कि श्रीमती पद्मा कुष्ठ रोगियों के लिए काफी कुछ कर रही हैं।
कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की आवश्यकता पर बल
डॉ. विनोद कुमार मंडल ने बताया कि श्रीमती पद्मा से मिलकर उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोगियों को आज समाज की मुख्यधारा में साथ लेकर चलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान भी कह चुका है कि कुष्ठ रोग छुआछूत की बीमारी नहीं है लेकिन समाज में इनके प्रति गलत अवधारणा आज भी बनी हुई है। सभ्य समाज में रहने वाले बड़े बड़े पदों पर आसीन लोग भी कुष्ठ रोगियों को हीन भावना से देखते हैं, जिससे समाज के अंतिम पायदान पर रह रहे कुष्ठ रोगियों और इनके परिवार स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
श्री मंडल ने बताया कि श्रीमती पद्मा ने उनकी बातों से सहमति जताई है कि कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए होटलों और बंद कमरों में इस पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है बल्कि गांव गांव और मोहल्ले मोहल्ले में जाकर इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। सरकार के अलावा जिला प्रशासन एवं समाज के सभी वर्ग के लोगों को इसके लिए आगे आना होगा।
कुष्ठ रोगियों के साथ सामूहिक भोज करने से लोग होंगे जागरूक

डॉ. विनोद कुमार मंडल ने कहा इन्हें(कुष्ठ रोगियों को) साथ लेकर सामूहिक भोज आदि जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक दूरियों को मिटाना होगा। जगह जगह जागरूक करने के लिए कार्यक्रम करने की जरूरत है। तब कहीं जाकर हाशिये पर जीवन व्यतीत कर रहे कुष्ठ रोगियों का कल्याण संभव है।
कुष्ठ रोगियों के पेंशन में असमानता, आंध्र प्रदेश की तर्ज पर देने की मांग
डॉ. विनोद कुमार मंडल ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास के विचारों को लेकर देशवासियों के लिए काफी कुछ कर रहे हैं लेकिन इन कुष्ठ रोगियों के पेंशन अलग अलग राज्यों में विभिन्नता, असमानता देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में कुष्ठ रोगियों को छह हजार रुपए मासिक पेंशन दिया जाता है। जबकि बिहार में 15 सौ रुपए, झारखंड में एक हजार, उत्तर प्रदेश में 35 सौ, चेन्नई में एक हजार, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में दो सौ रुपये पेंशन दिया जाता है जबकि पश्चिम बंगाल में यह राशि एक हजार रुपए है। श्री मंडल ने केंद्र सरकार से आंध्र प्रदेश की तर्ज पर पूरे देश के कुष्ठ रोगियों को एक समान छः हजार रुपए मासिक पेंशन की राशि देने की मांग की है।
आंदोलन में साथ देने का श्रीमती पद्मा ने दिया आश्वासन
उन्होंने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति स्व. आर. वेंकटरमन की पुत्री पद्मा वेंकटरमन ने उनकी मांगों का समर्थन किया है और समरूपता के दृष्टिकोण से उनके भविष्य के आंदोलन में साथ देने की बात कहीं हैं। डॉ मंडल ने बताया कि पहले राज्यों में और इसके बाद दिल्ली में बापू की समाधि स्थल के पास धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। इसको लेकर जल्द ही कार्यक्रम तय कर दिए जाएंगे।
पूर्व राष्ट्रपति की पुत्री और डॉ. मंडल एक दूसरे की सेवा से हुए प्रभावित

श्रीमती पद्मा ने जब जाना कि बिहार के गया के रहने वाले पूर्व वार्ड पार्षद सह बिहार राज्य कुष्ठ कल्याण समिति के प्रदेशाध्यक्ष श्री मंडल कुष्ठ रोगियों के घाव पर मरहमपट्टी किया करते हैं। उनके हाथों बने भोजन किया करते हैं। कुष्ठ रोगियों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं तो ये सारी बातें जानकर उन्हें काफी खुशी हुई। इनसे वे काफी प्रभावित हुईं। श्री मंडल अबतक कई राज्यों में जाकर वहां के कुष्ठ आश्रम व अस्पताल में रह रहे मरीजों से मिल चुके हैं। उनकी समस्याओं को समझने और सुनने के बाद वहां की सरकार और राज्यपाल से मिलकर इनकी समस्याओं को दूर कराने के लिए प्रयास करते आ रहे हैं। यहां तक कि कुष्ठ रोगियों की मृत्यु के पश्चात उनके दाह संस्कार में भी शरीक होते हैं। वहीं डॉ मंडल ने कहा कि श्रीमती पद्मा इतने बड़े घर से आने वाली हैं और जब उन्हें पता चला कि कुष्ठ रोगियों की सेवा में लगी हुई हैं तो इनसे मिलने की इच्छा हुई। मिलकर और इनके कार्यों को देखने के बाद इनसे प्रेरणा लेकर बिहार लौट रहे हैं।