ट्रेन दुर्घटना: हूटर बजते ही पदाधिकारियों के साथ राहतकर्मियों की टीम पहुंच गई घटनास्थल, फिर शुरू हुई…

Deobarat Mandal

देवब्रत

दिन के 11:00 बजे थे। रेलवे का हूटर बजता है। जिसकी आवाज गया जंक्शन पर कार्यरत सभी विभागों के पर्यवेक्षक व पदाधिकारियों के कानों तक पहुंचती है और फिर अफरातफरी…
ट्रेन दुर्घटना की सूचना पाते ही ट्रेन दुर्घटना राहत (ए. आर. टी.) यार्ड से गया जंक्शन पर आती है। मेडिकल की टीम, रेलवे सुरक्षा बल के पदाधिकारी व बल के जवान, कैरेज विभाग, परिचालन विभाग, ट्रेन लाइटिंग(टीएलाई), इंजीनियरिंग विभाग, दुर्घटना राहत दल आदि के साथ स्टेशन प्रबंधक आदि एआरटी/एआरएमवी में सवार होकर घटनास्थल के लिए रवाना होते हैं।

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फिर आगे शुरु हो जाती है दुर्घटना में घायल यात्रियों के इलाज, किसी को एम्बुलेंस में लादा जा रहा है तो कुछ कर्मचारी और पर्यवेक्षक स्तर के पदाधिकारियों की टीम दुर्घटना के बाद रेस्क्यू टीम को निर्देशित करते हुए अपने अपने दायित्वों के निर्वहन में जुट जाते हैं।

जी हां! ऐसा कुछ नजारा देखने को मिला गुरुवार को गया जंक्शन के यार्ड में। दरअसल ये एक मॉक ड्रिल था। यानी किसी अप्रत्याशित रूप से घटना या दुर्घटना के बाद रेलवे के पदाधिकारी और कर्मचारी कितने सजग और अलर्ट रहते हैं, इसका एक रिहर्सल था।
रेलवे सूत्रों ने बताया कि इस मॉक ड्रिल के जरिए रेलकर्मियों की दक्षता का एक प्रकार से परीक्षा/जांच की जाती है कि यदि कोई ऐसी घटना(ईश्वर न करे) हो जाती है तो राहत कार्य कितनी जल्द और बेहतर तरीके से रेलकर्मी शुरू करते हैं, इसी की जांच और सतर्कता बरतने के लिए समय समय पर रेलकर्मियों को प्रेरित किया जाता है। ऐसा डीडीयू रेल मंडल के अधिकारियों के निर्देश पर किया जाता रहा है। आज भी इसी का हिस्सा था यह मॉक ड्रिल।

img 20250508 wa02166115291494300893449 ट्रेन दुर्घटना: हूटर बजते ही पदाधिकारियों के साथ राहतकर्मियों की टीम पहुंच गई घटनास्थल, फिर शुरू हुई...
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