गया जी के भूअर्जन कार्यालय में डीएम ने पाया गड़बड़झाला, लिपिक पर गिरी गाज, कानूनगो की भी कार्यप्रणाली संदिग्ध

Deobarat Mandal

देवब्रत मंडल

कानूनगो भी बगैर कागजातों को देखे ही कर दी रिपोर्ट, लिपिक रोक कर रखा था फ़ाइल

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भूअर्जन कार्यालय में डीएम व कागजात देखते लिपिक

गया जी: गया जिला भूअर्जन कार्यालय में गड़बड़झाला का मामला उस वक्त सामने आया जब डीएम स्वयं एक आवेदक बालमुकुंद सिंह की शिकायत की जांच करने इस कार्यालय में पहुंच गए। दरअसल बालमुकुंद सिंह, माता स्व. शुतरानी देवी जो वजीरगंज के ऐरू गांव के निवासी हैं, इन्होंने ज़िला पदाधिकारी शशांक शुभंकर से एनएच 82 सड़क परियोजना में जमीन अधिग्रहण के एवज में अबतक मुआवजा भुगतान नहीं होने संबंधित शुक्रवार को जनता के दरबार कार्यक्रम में शिकायत किए थे।

शिकायत थी कि बार बार कार्यालय का लगा रहे हैं चक्कर

बालमुकुंद ने डीएम को बताया कि बार-बार ज़िला भूअर्जन कार्यालय का चक्कर लगा रहा हूं, लेकिन मुआवजा भुगतान नहीं किया जा रहा है।
फिर क्या था। इनकी शिकायत पर जिला पदाधिकारी शशांक शुभंकर स्वयं आवेदक के साथ भूअर्जन कार्यालय पहुंच गए। किस कारण से किन कर्मी के पास संचिका लंबित है। इस संबंध में पूरी जानकारी लेना शुरु की।

एक घंटे खड़े रहकर डीएम ने शिकायत की जांच की

डीएम लगभग एक घंटे भूअर्जन कार्यालय में खड़े रहे। संबंधित पीड़ित व्यक्ति के संचिका को खोजवाया। संचिका मिलने के बाद डीएम ने पूरी कागजातों को गहन जांच की। जांच के क्रम में मुआवजा भुगतान के लिये आवेदक के क्या क्या कागजात की मांग की गई थी और कौन कौन कागजात जमा किये गए हैं। सभी को देखा। पूछ ताछ भी शिकायतकर्ता श्री सिंह से की। जिन्होंने सभी उपस्थित कर्मचारी एवं पदाधिकारी के समक्ष डीएम को बताया कि पिछले 29 मार्च 2025 को सभी कागजात जमा कर चुके हैं, बाबजूद मुआवजा भुगतान लंबित है।

कानूनगो और लिपिक के कार्यकलापों पर प्रश्नचिन्ह

डीएम ने पाया कि लगभग सभी कागजात जमा रहने के बाबजूद भूअर्जन कार्यालय के लिपिक राजेश कुमार द्वारा बिना कारण के मुआवजा भुगतान के लिये संचिका को लंबित रखा गया था। वहीं, इसके अलावा कानूनगो धीरेंद्र कुमार द्वारा भी आवेदक के बिना कागजातों को देखे बगैर रिपोर्ट दिया गया था कि ख़ातियानी जमीन का कागज एवं अन्य कागजात जमा नही है। जबकि संचिका में सारे कागजात लगे हुए हैं। इन सारी चीजें देखने के बाद डीएम ने मामला को गंभीरता से देखते हुए लिपिक राजेश कुमार को तत्काल निलंबित कर दिया।

लोक शिकायत पदाधिकारी की अध्यक्षता में जांच के लिए कमेटी गठित

डीएम ने ज़िला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई है। जिसमे डीसीएलआर सदर, ज़िला भूअर्जन पदाधिकारी एवं आवेदक को भी शामिल किया गया है। जो मामले को पूरी बारीकी से जांच करेंगे। डीएम को प्रतिवेदन समर्पित करेंगे। साथ ही डीएम ने कानूनगो की कार्यकलाप की भी जांच करवाने को कहा है।

जिला भूअर्जन पदाधिकारी से भी पूछा गया स्पष्टीकरण

डीएम ने जिला भूअर्जन पदाधिकारी से स्पष्टीकरण भी पूछा है कि किन कारणों से अब तक मुआवजा भुगतान लंबित रखा गया है। डीएम ने जिला भूअर्जन पदाधिकारी एवं भूअर्जन के सभी कर्मियों को सख्त निर्देश दिया है यदि कोई और अन्य मामले जिनके सभी कागजात जमा हैं, बाबजूद मुआवजा भुगतान लंबित है, तो अगले 7 दिनों में उन सभी मामलों में मुआवजा भुगतान सुनिश्चित करें। इस पूरी जांच व निरीक्षण में अपर समाहर्ता राजस्व परितोष कुमार, सहायक समाहर्ता, ज़िला जन सम्पर्क पदाधिकारी उपस्थित थे।

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