देवब्रत मंडल
गया जिले के मानपुर के पटवा समाज मे विवाह (शादी) मे तिलक दहेज़ का रिवाज़ नही है। पटवा समाज के लोग ना हीं तिलक लेते है और ना ही तिलक देते
हैं। चाहे बेटा हो या बेटी की शादी
। यह परम्परा आजादी के पूर्व से आज तक मानपुर पटवा टोली के पटवा समाज के लोग अपने पूर्वजो
की परम्परा
को निभा
ते आ रहे
हैं।
इस बारे में बातचीत करने
जनता दल यूनाइटेड के व्यवसायिक एवं उद्योग प्रकोष्ठ गया जिला अध्यक्ष सह बुनकर नेता प्रकाश राम पटवा
बताते हैं कि
“बिहार का मैनचेस्टर
“ के नाम से विख्यात मानपुर पटवाटोली
में पटवा समाज का पुश्तैनी कारोबार वस्त्र (कपडे) की बुनाई व
बिक्री कर
ना आरंभ काल से ही रहा है। जिससे अपना जीवन यापन करना अधिकतम रहा है। पटवा समाज के बच्चे इंजीनियरिंग
सहित अन्य क्षेत्रों मे सफल होकर
इस जगह का नाम रौशन कर भारत वर्ष के कई महानग
रों
में
देश की सेवा कर रहे
हैं।
सबसे बड़ी खासियत यह है कि जहां आज अन्य समाज में देखने व सुनने को मिलते हैं कि शादियों में तिलक दहेज बढ़चढ़कर लेन देन हो रहा है। ठीक इसके विपरीत पटवा समाज में शादी विवाह बगैर तिलक दहेज़ के
होते हैं। समाज के युवा पीढ़ी दहेज
रहित विवाह की परिकल्पना को धरातल पर उतारा
रहे हैं।
शायद ही किसी अन्य समाज में ऐसा होता है या हो रहा है। ऐसे में प्रकाश राम पटवा का मानना है कि सरकार,
एनजीओ और समाजिक कार्यकर्ताओं को पटवा समाज के लोगो के
बीच आएं। यहां आकर या उन्हे बुलाकर आशिर्वाद
दें। ताकि इससे पटवा समाज
के साथ साथ उन समाज के युवाओं और अभिभावकों में दहेज की कुप्रथा को समाप्त
करने की प्रेरणा मिले और उनका हौसला बढ़ा रहे।