सीबीआई की कार्रवाई के बाद अहले सुबह विजिलेंस की टीम जांच के लिए पहुंची गया जंक्शन के पीडब्लूआई कार्यालय, जाने क्या है पूरा मामला

Deobarat Mandal

देवब्रत मंडल

image editor output image1772664457 17458647624039095807570874121891 सीबीआई की कार्रवाई के बाद अहले सुबह विजिलेंस की टीम जांच के लिए पहुंची गया जंक्शन के पीडब्लूआई कार्यालय, जाने क्या है पूरा मामला
प्रतीकात्मक तस्वीर

पूर्व मध्य रेल के डीडीयू मंडल अंतर्गत डेहरी-ऑन-सोन के ट्रैक डिपो से सामानों की आपूर्ति में हुए घोटाले और रिश्वतखोरी मामले की सीबीआई जांच में कई तथ्य सामने आए हैं। तथ्यों एवं सबूतों को आधार बनाकर सीबीआई ने एक मामला दर्ज करते हुए कई रेलकर्मियों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। इस कार्रवाई के बाद रेलवे की विजिलेंस की एक टीम मंगलवार की सुबह गया जंक्शन के पी-वे कार्यालय व यहां के स्टोर में जांच के लिए पहुंची। सूत्रों के अनुसार डेहरी-ऑन-सोन के ट्रैक डिपो में हुई घोटाले तथा रिश्वत लेने के मामले सामने आने के बाद विजिलेंस की जांच टीम गया के आईओडब्ल्यू कार्यालय सह स्टोर के कर्मचारियों से पूछताछ व दस्तावेज की जांच की है।

आइए जानते हैं क्या है मामला, मनी ट्रांसफर के माध्यम से कमीशन/रिश्वत का लेनदेन

सीबीआई को पता चला है कि विभिन्न आपूर्तिकर्ता फर्मों ने निर्माण विभाग महेंद्रू घाट, ईसी रेलवे के स्टोर्स द्वारा आवश्यक ट्रैक फिटिंग से संबंधित विभिन्न वस्तुओं के क्रय आदेश दिए और सामग्री निर्माण विभाग, ट्रैक डिपो, डेहरी-ऑन-सोन के स्टोर्स में आपूर्ति की गई। आरोप यह है कि निजी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा फिश प्लेट, ईआरसी, नट बोल्ट, एलसी फिटिंग आदि वस्तुओं की डिलीवरी देते समय, कंपनियों/फर्मों के एजेंट आपूर्ति आदेश के अनुसार आपूर्ति की गई वस्तुओं की रसीद/पावती देने के लिए गार्ड के माध्यम से निर्माण विभाग के स्टोर्स के एसएसई, पी-वे को मनी ट्रांसफर के माध्यम से कमीशन/रिश्वत देते थे।

सबसे पहले डेहरी-ऑन-सोन में सीबीआई जांच शुरू हुई

सीबीआई को विश्वसनीय स्रोत से सूचना प्राप्त होने पर, दिनांक 24.04.2025 को 17:15 बजे से 23:30 बजे तक, कार्यालय एसपी, सीबीआई, एसीबी, पटना की सीबीआई टीम द्वारा एसडीजीएम, सतर्कता, ईसीआर , डेहरी-ऑन-सोन के अधिकारियों के सहयोग से कार्यालय एसएसई/पी-वे, इंजीनियरिंग/निर्माण, ईसीआर, डेहरी-ऑन-सोन में संयुक्त औचक जांच की गई।

जांच के क्रम में ये तथ्य आए सामने

जांच के क्रम में राज कुमार, एसएसई, पी-वे (निर्माण), डेहरी-ऑन-सोन टीम के सदस्यों को यह विवरण नहीं दिखा पाए कि उन्हें आखिरी बार सामग्री कब प्राप्त हुई थी और आपूर्तिकर्ता फर्म का नाम क्या था। इसके बाद, टीम ने उनसे उन वस्तुओं का विवरण प्रदान करने के लिए विशेष अनुरोध किया, जो इस कार्यालय को जनवरी, 2024 से 24 अप्रैल, 2024 की अवधि के दौरान विभिन्न आपूर्तिकर्ता फर्मों/कंपनियों से प्राप्त हुईं और उनकी मांग के आधार पर विभिन्न कार्यालयों को पुनः जारी की गईं। इस अवधि के लिए विभिन्न विभागों को जारी आपूर्ति एवं मांग पत्र से संबंधित चालान की प्रति उपलब्ध कराने का अनुरोध टीम द्वारा किया गया, लेकिन राज कुमार ने यह जानकारी टीम के सदस्यों को नहीं दिखाई, ताकि इसका भौतिक सत्यापन किया जा सके। राजकुमार ने टीम के सदस्यों को बताया कि उनके कार्यकाल  फरवरी 2025 से लेकर आज तक आपूर्तिकर्ता फर्मों द्वारा कोई भी सामान आपूर्ति नहीं किया गया है। उन्होंने टीम को यह भी बताया कि एच.एन. चौबे, एस.एस.ई. की सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्हें बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की औपचारिक स्वीकृति के डेहरी ऑन-सोन में स्टोर पी-वे निर्माण के कार्य में सहायता के लिए अनौपचारिक रूप से नियुक्त किया गया था।

सीबीआई टीम को रजिस्टर एवं चालान नहीं दिखा सके कर्मचारी

सीबीआई ने इस स्टोर से सामान की प्राप्ति एवं वितरण से संबंधित पी-वे स्टॉक रजिस्टर के बारे में पूछे जाने पर टीम को कोई जवाब नहीं दिया गया और सीबीआई टीम को रजिस्टर एवं चालान नहीं दिखा सके। टीम को इसके अलावा कार्यालय के अन्य कर्मचारियों के बारे में पूछे जाने पर बताया कि अन्नू कुमार, खलासी और बिनोद राम, दोनों ग्रुप-डी अधिकारी, सोन नगर के स्टोर के चौकीदार के रूप में काम कर रहे हैं और बीरेंद्र, ग्रुप-डी कर्मचारी एसएसई, पी-वे कंस्ट्रक्शन स्टोर ऑफिस, डेहरी ऑन-सोन में काम कर रहे हैं, जो जांच के दौरान आराम कर रहे थे। टीम द्वारा विशेष पूछताछ किए जाने पर राज कुमार, एसएसई, पी-वे ने बताया कि बिनोद राम वर्तमान में सोननगर के स्टोर में उपलब्ध हैं। स्टोर की स्थिति और वहां रखी गई सामग्रियों को देखने के लिए सीबीआई टीम ने पूर्व मध्य रेल, हाजीपुर के सतर्कता अधिकारियों के साथ सोननगर के स्टोर के लिए निकले। यात्रा के दौरान बिनोद राम को सोननगर के निर्माण स्टोर में पाया। पूछताछ पर बिनोद राम ने बताया कि एक ट्रक संख्या BR26GC3231, जिसमें 15-20 टाई बार और 30-50 रेल के टुकड़े लदे हुए हैं। राज कुमार, एसएसई, पी-वे के निर्देश पर लगभग 13:00 बजे इस स्टोर परिसर के बाहर गए हैं।

मोबाइल फोन पर रुपये का हुआ लेनदेन, जांच में हुआ खुलासा

टीम ने अपनी जांच में पाया कि मोबाइल फोन लव कुमार उर्फ भीम, अनिल सिंह, एसएसई, पी-वे को भेजी गई राशि जिसे आपूर्तिकर्ता कंपनी द्वारा उनके खाते में स्थानांतरित/जमा कर दिया गया। अनिल सिंह, तत्कालीन एसएसई, पी-वे (अप्रैल, 2024 में सेवानिवृत्त) ने रुपये की रिश्वत के रूप में अनुचित लाभ प्राप्त किया था।  21.03.2024 से 02.04.2024 के दौरान ₹ 1,35,000/- लव कुमार उर्फ ​​भीम द्वारा यह भी खुलासा किया गया कि विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त राशि अनिल कुमार सिंह को उनके परिवार के सदस्यों के खातों में भुगतान की गई थी, जो अनिल सिंह द्वारा उन्हें दिए गए थे। टीम ने पाया कि अनिल सिंह की भतीजी सुश्री अर्पिता और सुश्री प्रिया के खाते में राशि भेजी गई। इसके अलावा, कभी-कभी कमीशन की राशि नकद भी प्राप्त की जाती थी। अन्नू कुमार @ भीम द्वारा एच.एन. चौबे और राज कुमार, दोनों एस.एस.ई., पी-वे को भेजी गई राशि जिसे आपूर्तिकर्ता कंपनी द्वारा उनके खाते में स्थानांतरित/जमा किया गया। अन्नू कुमार के मोबाइल फोन जिसमें उक्त एस.एस.ई. पी-वे एच.एन. चौबे और राज कुमार के लिए आपूर्तिकर्ता से उनके निर्देशों के अनुसार कमीशन राशि की रसीद दिखाई गई है।

पार्टी का नाम जिनसे लेनदेन की हुई

सीबीआई की टीम उन पार्टियों का पता लगाई है कि किस किस पार्टी से कब कब और कितने रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। जिसमें एक उमा नाथ का नाम है। इनके अलावा समरेश सामंता, कुणाल कुमार तिवारी और विजय कुमार पॉल का नाम सामने आया है।

टीम ने माना कि रिश्वतखोरी और हुए हैं घोटाले

जांच कर रही टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उपरोक्त लेन-देन दर्शाते हैं कि रुपए लव कुमार, प्राइवेट व्यक्ति और अन्नू कुमार, ग्रुप-डी/चौकीदार द्वारा इस कार्यालय के सामग्री आपूर्तिकर्ताओं के विभिन्न एजेंटों से अनिल सिंह ( सेवानिवृत्त), एच.एन. चौबे (सेवानिवृत्त) और  राज कुमार, एसएसई, पी-वे, निर्माण, स्टोर, डेहरी ऑन-सोन के निर्देश पर रिश्वत/कमीशन के रूप में 2,15,074/- प्राप्त किए गए और उन्हें मोबाइल फोन के माध्यम से उनके खातों में स्थानांतरित कर दिया गया।

टीम ने माना है कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा बगैर मंजूरी के हुए कार्य

जांच कर रही सीबीआई की टीम ने माना है कि सक्षम प्राधिकारी की किसी भी मंजूरी के बिना अवैध रूप से उक्त निजी व्यक्ति को इन सामग्रियों को स्क्रैप मानते हुए महंगी रेलवे स्टोर सामग्री को औने-पौने दाम में देने के लिए कुल 2.10 लाख रुपये की बातचीत की थी। इन सारे तथ्यों और गवाहों के बयान को आधार बनाकर सीबीआई ने पीसी अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7, 8 और 12 और बीएनएस 2023 की धारा 61 (2) के तहत राज कुमार, एसएसई/पी-वे, इंजीनियरिंग/निर्माण, ईसीआर, डेहरी-ऑन-सोन, अनिल सिंह (अब सेवानिवृत्त), तत्कालीन एसएसई/पी-वे, निर्माण, स्टोर पी-वे, निर्माण (ट्रैक डिपो), डेहरी-ऑन-सोन, के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है।  एच. एन. चौबे (अब सेवानिवृत्त), तत्कालीन एसएसई/पी-वे, निर्माण, स्टोर पी-वे, निर्माण (ट्रैक डिपो), डेहरी-ऑन-सोन और अज्ञात लोक सेवकों और अज्ञात अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच के लिए रूबी चौधरी, उप पुलिस अधीक्षक, सीबीआई, एसीबी, पटना को सौंपा गया है।

(उपलब्ध कराई गई उक्त जानकारी सीबीआई की फ़ाइल से ली गई है)

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