देवब्रत मंडल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर गया रेल थाना की पुलिस कितनी सजग है, इस बात का पता इससे चलता है कि गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई में भारी मात्रा में सोना पकड़ लिया जाता है। कीमत करोड़ रुपए। जब्त किया गया सोना तो कोर्ट की निगरानी में अंदर रख लिया है लेकिन कथित तस्कर हरिलाल वर्मा थाना से ही जमानत पर बाहर निकल गया।
जानें बरामद सोने के बिस्किट के अलग अलग वजन
बरामद सोने का कुल वजन तो पहले ही बता दिया गया था लेकिन फिर याद कराता चलूं की जब्त सोने के चार बार(बिस्किट) का कुल वजन 2002.50 किग्रा है। चारो बार का अलग वजन इस प्रकार है:- 619.99 ग्राम, 414.16 ग्राम, 471.84 ग्राम तथा 496.51 ग्राम। जिसे रेल पुलिस ने कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया गया है।
दोनों जांघ में छिपाकर लाया गया था सोना
रेल पुलिस के अनुसार 12311 नेताजी सुभाष एक्सप्रेस के सामान्य कोच में तस्कर द्वारा सोना लेकर चलने की गुप्त सूचना मिली थी। गया जंक्शन पर जब यह ट्रेन आई तो तस्कर को पकड़ा गया। रेल पुलिस के अनुसार जांच में तस्कर ने दोनों जांघ में सोने के बिस्किट को छिपाकर लाया था। जो पुलिस की जांच में पकड़ा गया।
कोलकाता के इस दुकान का इनवॉइस मिला है
रेल पुलिस सूत्रों की मानें तो हरि शंकर वर्मा नामक व्यक्ति के पास से जो सोना बरामद किया गया है। उसके बारे में पुलिस को दो इनवॉइस भी मिले हैं। जो 25 सितंबर 2025 के हैं। जो राधाकृष्ण ज्वेलर्स, कन्नू लाल लेन, बड़ा बाजार, कोलकाता-7 के बताए गए हैं।
इस केस में आरपीएफ की भूमिका की चर्चा नहीं
इस पूरे प्रकरण में एक बात जो देखने को मिल रहा है, वो ये कि दर्ज एफआईआर में कहीं भी गया आरपीएफ पोस्ट के किसी पदाधिकारी या जवान की भूमिका का जिक्र नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रेल पुलिस और आरपीएफ संयुक्त रूप से काम नहीं कर रही थी उस दिन। आरपीएफ की टीम उस वक्त कहां थी। चर्चा तो ये भी है कि सोना बरामदगी के बाद एक पदाधिकारी 9 अक्टूबर को अपने कार्यस्थल पर नहीं होकर मुख्यालय से बाहर पश्चिम बंगाल की तरफ निकल गए थे। क्यों और किसके आदेश पर गए हुए थे, ये उनके विभाग का आंतरिक मामला है। लेकिन इस बात की चर्चा हो रही है।
इनकी मानें तो कांड दर्ज नहीं होना चाहिए था
आयकर विभाग से जुड़े एक सक्षम पदाधिकारी ने नाम सामने नहीं आने की शर्त पर बताया कि इस पूरे प्रकरण में जो तथ्य सामने निकल कर आए हैं, उसके अनुसार थाना में केस भी दर्ज नहीं होना चाहिए था। कहा कि यह मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आने के कारण स्थानीय स्तर के पदाधिकारी की भूमिका यही तक सीमित हो गई थी। बता दें कि आरोपी वर्मा को रेल एसएसपी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए पटना ले जाया गया था।
