देवब्रत मंडल

गया जंक्शन। दिन सोमवार। दोपहर बाद यहां छोटी छोटी बातें सामने आई। जो खबर का हिस्सा बन गई। दिल्ली एंड के मिडिल फुट ओवर ब्रिज की सतह(फर्श) पर सरसों तेल पसरा था। कैसे यहां तेल गिरा पता नहीं लेकिन तेल गिरा हुआ था। जो फैल गया था। यात्री यहां से बचकर निकल रहे थे। कारण उन्हें फिसलन से गिरकर घायल होने का डर था। magadhlive के इस संवाददाता की नजर जब इस फैले हुए तेल पर पड़ी तो एक छोटा सा वीडियो बनाया। स्टेशन अधीक्षक एवं वाणिज्य विभाग के पर्यवेक्षक(सामान्य) के व्हाट्सएप पर भेजा। अनुरोध किया गया कि जल्द ही इसकी सफाई करा दिया जाए। नहीं तो भीड़ में यात्रियों के फिसल कर गिरने का डर है। वाणिज्य पर्यवेक्षक(सामान्य) तब तक व्हाट्सएप नहीं देखे थे तो इस संवाददाता ने उन्हें कॉल कर इस समस्या से अवगत करवाया गया। इसके बाद उन्होंने सफाई से संबंधित व्यक्ति को फोन किया। इसके बाद सफाई करा दी गई।

दूसरी बात, टिकट आरक्षण कार्यालय के पर्यवेक्षक और कुछ कर्मचारी प्रिंटिंग मशीन के पास खड़े थे। एक कर्मचारी मशीन को दुरुस्त करने में जुटे हुए थे। दरअसल रिज़र्वेशन चार्ट प्रिंट नहीं हो पा रहा था। कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी। कर्मचारियों ने बताया कि ऑफिस में चूहे से लोग परेशान हैं। चूहे वायर(इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके कारण कई बार परेशानी होती है। कुछ देर बाद मशीन कार्य करने लगता है।

तीसरी बात, सर्कुलेटिंग एरिया की है। यहां सेक्स वर्कर एक महिला एक यात्री को अपने झांसे में लेने के लिए प्रयासरत थी। कुछ देर बाद यात्री उस महिला से पिंड छुड़ा कर एक मंदिर के सामने आ जाते हैं। पूछने पर बताया कि महिला उसे झांसे में लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन ऐसा नहीं होने दिया। यात्री ने बताया कि वे झारखंड के प्रतापपुर के रहनेवाले हैं, जिन्हें जालंधर जाना था लेकिन दिन में उनकी ट्रेन नहीं थी। यहां रहे कुछ लोगों ने बताया महिला वर्षों से स्टेशन परिसर में आती रही है। उम्र करीब 50 के पार। कद काठी में थोड़ी फैटी और रंग गोरा।
10 किलोग्राम आम कम आया तो व्यापारी नाराज
हावड़ा-गया एक्सप्रेस से एक व्यापारी का आम पार्सल ऑफिस में वजन हो रहा था। व्यापारी का कहना था कि 10 किग्रा आम कम है। चार कैरेट में से एक कैरेट से आम गायब हो गए थे। आरोप चोरी हो जाने का लगा रहे थे लेकिन किसी खास व्यक्ति पर आरोप नहीं थे इनके। आम जमालपुर स्टेशन से बुक कराया गया था। व्यापारी चिंतित होने के साथ साथ गुस्से में भी थे। खैर जितना उन्होंने प्राप्त किया, उतने के कागज पर लिखवा लिया। चोरी कहां हुई, पता नहीं चला।