गया जंक्शन: मजदूरों का यहां हो रहा आर्थिक शोषण, पार्सल बाबू के कारण रुकी रही ट्रेन, कुछ और भी…

Deobarat Mandal

देवब्रत मंडल

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गया जंक्शन पर साफ सफाई व्यवस्था निजी हाथों में तो सौंप दी गई है लेकिन संवेदक द्वारा यहां के सफाई कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं करते दिखाई देते हैं। सफाई कर्मचारियों को न तो ग्लब्स और जूते दिए जाते हैं और न तो निर्धारित मजदूरी ही दी जाती है। गया जंक्शन पर सफाई का काम कर रहे एक नहीं कई मजदूरों से magadhlive news के इस संवाददाता की मुलाकात होती है। इनमें से कुछ प्लेटफॉर्म पर झाड़ू लगा रहे थे तो कुछ कचरे का डिस्पोजल करते दिखाई दिए।

वर्दी भी नहीं दी गई है मजदूरों को

शनिवार की रात गया जंक्शन के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर ये रिपोर्टर कई घन्टे रहा। कई अनियमितताएं देखने को मिले। इसी बीच प्लेटफॉर्म नंबर एक पर एक सफाई कर्मचारी झाड़ू लगा रहे थे। जिनसे बात करने पर पता चला कि ठीकेदार कोई घंटी सिंह हैं। जितने मजदूर दिखे, कोई वर्दी पहने नहीं थे।

एक एक कर कई ट्रेनें आती जाती रही

कुछ देर बाद एक एक कर अप की राजधानी एक्सप्रेस, तेजस राजधानी एक्सप्रेस, गंगा-सतलुज एक्सप्रेस आदि ट्रेनें प्लेटफॉर्म नंबर एक पर आती गई और निर्धारित समय के ठहराव के बाद यहां से खुल रही थी। राजधानी एक्सप्रेस और अन्य ट्रेन के कोच से कचरे का थैला प्लेटफॉर्म पर रख दिया जा रहा था।

गंगा-सतलुज एक्सप्रेस अधिक समय तक ठहरी

गंगा-सतलुज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर वन पर आती है। निर्धारित समय के ठहराव के बाद ट्रेन नहीं खुलती है। परिचालन विभाग से जुड़े कार्यालय से बार बार अनाउंसमेंट किया जा रहा था-ऑन ड्यूटी पार्सल बाबू! आपके कारण ट्रेन अधिक समय तक रुकी हुई, ये डिटेंशन आपके ऊपर जा रहा है। दरअसल, इस ट्रेन में व्यापारियों के बुक मालों को उतारने और चढ़ाने के कारण देर हो रही थी। खैर, कुछ समय बाद ट्रेन खुल जाती है।

जिम्मेदारियों के निर्वहन करते दिखाई दिए

कचरे का निस्तारण करने वाले सफाई कर्मचारी ठेले लेकर आते हैं और प्लास्टिक के थैले में एकत्र कर रखे गए कचरे को ठेला पर लोड करते हैं। हां, एक बात जो अच्छी लगी कि सफाई व्यवस्था का ख्याल रखा जा रहा था ताकि यात्रियों को गंदगी के कारण असुविधा नहीं हो। कहा जाए तो मजदूर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।

एक दिन का तीन सौ और वो भी अनियमित भुगतान

कचरे का उठाव कर रहे और झाड़ू लगाने वाले सफाई कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें एक दिन काम करने के एवज में तीन सौ रुपए मिलते हैं लेकिन नियमित नहीं नहीं भुगतान किया जाता है। इन कर्मचारियों ने अपने ठीकेदार का नाम घंटी सिंह बताया और सफाई पर्यवेक्षक का नाम गोपी बताया। इन लोगों ने बताया कि मजदूरी भी बकाया है।

आइए जानते हैं क्या है सरकारी आदेश

2025 तक न्यूनतम मजदूरी अलग-अलग राज्यों और कुशल श्रमिकों के प्रकार के आधार पर अलग-अलग है, लेकिन केंद्र सरकार ने अकुशल श्रमिकों के लिए लगभग ₹375-₹450 प्रति दिन की न्यूनतम मजदूरी तय की है। 

केंद्रीय न्यूनतम मजदूरी दर (2025)

  • अकुशल श्रमिक: ₹375 से ₹450 प्रति दिन (लगभग ₹9,000 से ₹15,000 प्रति माह)।
  • अर्ध-कुशल श्रमिक: ₹400 से ₹475 प्रति दिन।
  • कुशल श्रमिक: ₹425 से ₹500 प्रति दिन। 
  • सवाल ये है कि रेलवे में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी आखिर क्यों नहीं इन मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट करते हैं और गया जंक्शन पर स्वास्थ्य निरीक्षक आखिर क्या देखते हैं?
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