ग्लोबल एजेंसी को बार-बार निगम प्रशासन से मिल रहा अभयदान, फिर तीन लाख रुपए का लगा जुर्माना

Deobarat Mandal

देवब्रत मंडल

image editor output image 666954015 17610626292153865635200672583094 ग्लोबल एजेंसी को बार-बार निगम प्रशासन से मिल रहा अभयदान, फिर तीन लाख रुपए का लगा जुर्माना
समीक्षा बैठक करते नगर आयुक्त

गया जी नगर निगम के नगर आयुक्त कुमार अनुराग ने ग्लोबल एजेंसी को तीन लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साफ सफाई में शिथिलता और लापरवाही की जांच के बाद यह कदम उठाया गया है। नगर आयुक्त मंगलवार को साफ सफाई व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे। जिन्होंने बताया कि धनतेरस और दीपावली के दिन एजेंसी के कार्यों में लापरवाही बरतने की शिकायत पर जांच कमेटी द्वारा पाया गया कि दो दिन निविदा की शर्तों के अनुरूप कार्य नहीं किया गया था जिसके फलस्वरूप नगर निगम को अपने स्तर से काम करवाना पड़ा। इसलिए दो दिनों के हिसाब से तीन लाख रुपए जुर्माना ग्लोबल एजेंसी को लगाया गया।
इसके पहले भी ग्लोबल वेस्ट मैनेजमेंट सेल प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी से कार्य में लापरवाही बरतने के कारण पेनाल्टी लग चुका है। निगम सूत्रों की माने तो इस साल फरवरी माह में इस एजेंसी के साथ निगम का करार हुआ है। इसके बाद से तीन चार बार शो कॉज और पेनाल्टी जैसी विभागीय कार्यवाही हो चुकी है। बावजूद इस फर्म को काम करते रहने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। जबकि नियमानुसार किसी भी संवेदक/एजेंसी द्वारा बार बार गलतियां किए जाने के बाद विभागीय प्रमुख का यह अधिकार/दायित्व बनता है कि उसे काली सूची में डालने के लिए सरकार से अनुरोध करे, परंतु ऐसा नहीं किया जा सका है।
विश्वस्त सूत्रों की माने तो ग्लोबल वेस्ट मैनेजमेंट सेल प्राइवेट लिमिटेड को अगस्त माह में एक करोड़ 25 लाख रुपए का भुगतान निगम के द्वारा किया गया है। सितंबर महीने में करीब एक करोड़ तीस लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
ये राशि मशीन से और मैन्युअल यानी मानव संसाधन के उपयोग के आधार पर किया गया है।
इस बीच ये भी शिकायत नगर निगम प्रशासन तक पहुंची थी कि इस एजेंसी द्वारा निगम के कर्मचारियों द्वारा की गई साफ सफाई के बाद दूसरे एंगल से तस्वीर खींच कर अपलोड कर दिया जाता है। वहीं जितना मानव बल और मशीन का उपयोग हर दिन निर्धारित क्षेत्र में करना है, उतने संसाधन एजेंसी द्वारा नहीं लगाए जाते हैं।
जिसके कारण शहर में गंदगी दिखाई देती है। जिससे आम नागरिक परेशान हो रहे हैं। रोज कहीं न कहीं से शिकायतें आ ही रही है।
सवाल उठता है कि आखिर हर बार गलती पकड़े जाने पर आर्थिक दंड ही क्यों, ऊपर तक विभागीय अधिकारियों(सरकार) को क्यों नहीं एजेंसी के विरुद्ध कोई एक्शन लेने के लिए अनुरोध किया जा रहा है। वहीं निगम की सशक्त स्थायी समिति और बोर्ड के सदस्य क्यों चुप्पी साधे हुए हैं?

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