देवब्रत मंडल

गया (चंदौती)। गया जिले के सदर अंचल कार्यालय (चंदौती) से एक ऑडियो और स्क्रीन शॉर्ट वायरल हो रहा है, जिसमें जमीन दाखिल-खारिज (म्युटेशन) के एवज में पैसों की मांग की जा रही है। दावा किया जा रहा है कि मुरारपुर क्षेत्र से जुड़ी जमीन का म्युटेशन कराने के लिए 2500 रुपये की ‘पर्चा’ यानी ‘खर्चा’ मांगा जा रहा है। बातचीत में सीधा उल्लेख है कि “सीओ सर का सुबह-सुबह कॉल आया था।” हालांकि Magadh Live इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता कि बात करने वाला व्यक्ति वाकई अंचल कार्यालय का राजस्व कर्मचारी है भी या नहीं।
बातचीत का हूबहू अंश पढ़िए — किसने क्या कहा, साफ समझिए:
(यह बातचीत कॉल पर रिकॉर्ड हुई है, जिसे किसी ने वायरल कर दिया है)
बोलने वाला संभावित कर्मचारी “सीओ सर का सुबह सुबह कॉल आया था, इस लिए कह रहे हैं न, दे दीजिएगा तब न काम आगे बढ़ा देते।”
बोलने वाला 2 (जमीन मालिक का करीबी):
“हेलो! कितना केस नंबर था?”
संभावित कर्मचारी:
“केस नंबर अभी जेनरेट नहीं हुआ है, पर्चा(खर्चा) मिलेगा तब न जेनरेट होगा।”
जमीन मालिक का करीबी:
“अच्छा! खर्चा या पर्चा, वही हुआ न। आपका पूरा नाम नीरज है?”
संभावित कर्मचारी:
“हां! नीरज कुमार मंडल। कर्मचारी हुए न?”
जमीन मालिक का करीबी:
“ऑनलाइन ले सकते हैं? हम तो यहां नहीं हैं।”
संभावित कर्मचारी:
“ठीक है, स्टाफ का नंबर भेज देते हैं, उसी पर डाल दीजिएगा।”
जमीन मालिक का करीबी:
“कितना देना होगा?”
संभावित कर्मचारी:
“पच्चीस सौ”
जमीन मालिक का करीबी:
“कम वेसी न चलेगा सर कुछो?”
संभावित कर्मचारी:
“अब उसी में देख लीजिएगा”
जमीन मालिक का करीबी:
“कब तक म्युटेशन हो जाएगा मेरा?”
संभावित कर्मचारी:
“हो जाएगा, बीस दिन में।”
जमीन मालिक का करीबी:
“बीस दिन में फाइनल मिल जाएगा?”
संभावित कर्मचारी:
“फाइनल हो जाएगा।”
जमीन मालिक का करीबी:
“ई न कि देला के बाद फिर लटक जाए?”
संभावित कर्मचारी:
“न! न! नहीं ना? ऐसा थोड़े ही होता है। सबका एकदम टाइमिंग रहता है, कितना दिन पर आपका काम कर के देना है।”
जमीन मालिक का करीबी:
“अच्छा ठीक है भेज (स्कैनर QR कोड) दीजिए, अभी भेजना होगा?”
संभावित कर्मचारी:
“भेज दीजिएगा तब न अभी काम आगे बढ़ा देंगे। सीओ सर का अभी सुबह सुबह कॉल आया था, इसलिए कह रहे हैं!”
जमीन मालिक का करीबी:
“सीओ सर भी मांगते हैं न?”
संभावित कर्मचारी:
“अच्छा ठीक है।”
जमीन मालिक का करीबी:
“भेजिए(स्कैनर), भेज देते हैं”
संभावित कर्मचारी:
“ठीक है
इस बातचीत के बाद एक UPI स्कैनर कोड भेजा जाता है, जो ‘प्रिंस कुमार’ नामक व्यक्ति का होता है। इसके बाद बातचीत में सौदेबाजी होती है, जैसे कि कम ज्यादा कुछ किया जा सकता है या नहीं।

इस पूरे मामले में वायरल ऑडियो व व्हाट्सएप चैट की पुष्टि के लिए Magadh Live ने कर्मचारी नीरज मंडल के दो नंबर पर फोन किया तो एक बंद बताया। दूसरे पर बात हुई। जब वायरल ऑडियो टेप और व्हाट्सएप चैट के बारे में उनसे पूछा तो कर्मचारी ने कहा- हमें और सीओ सर को बदनाम करने की साजिश रची गई है। सीओ सर को इस बात से अवगत करा दिए हैं, अभी हमलोग हड़ताल पर हैं। सीओ सर से ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु अनुरोध किया गया है।
अब सवाल उठता है कि जब फोन पर बातचीत करने वाला व्यक्ति नीरज कुमार मंडल नहीं है तो अब यह जांच का विषय है कि जिस मोबाइल नंबर (सिम कार्ड) से बातचीत हो रही है, वह किसके नाम पर है और क्या वह व्यक्ति सरकारी सेवा में है या इस तरह के कार्य में ऑफिस वालों से संपर्क रखता है और लोगों को झांसे में लेकर अपना उल्लू सीधा करता है। जिस व्यक्ति का UPI id दिया गया तो क्या वाकई इस तरह के लेनदेन किया करता है? ये जांच के विषय हैं।
(वायरल ऑडियो क्लिप magadh Live के पास सुरक्षित है) सुनें ऑडियो टेप