टिकारी संवाददाता: टिकारी प्रखंड अंतर्गत अमरपुर गांव में आयोजित पंचकुंडीय विष्णु महायज्ञ के छठे दिन शनिवार को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राघवेन्द्रसरकार की कथा का श्रोताओं ने खूब आनंद लिया। कथावाचक डा. राम कृष्ण संजीवन जी महाराज ने सीता स्वयंवर एवं भगवान राम का वन गमन की चर्चा विस्तार से किया। उन्होंने कथा में बताया कि जिस धनुष को बड़े-बड़े शूरवीर हिला नहीं सके वह धनुष भगवान राम के हाथों में आते हीं टूट गया। भगवान परशुराम के क्रोधित होने पर भी उन्होंने शांत चित से उनके गुस्से को अपने वाणी से ठंडा कर दिया। उन्होंने कहा कि पुरषोत्तम राम कभी भी अपनी शक्ति का अहंकार नहीं दिखाया। जिस दौर में एक से अधिक पत्नी रखना राजा की शान का प्रतीक हुआ करता था, उस दौर में भगवान राम ने एक पत्नी रखकर नारी धर्म का मान सम्मान बढ़ाया।

भगवान राम के राज्याभिषेक की सारी तैयारी हो चुकी थी। लेकिन पिता के वचनों का मान रखने के लिए अयोध्या का राज सिंहासन त्याग कर वन में जाना स्वीकार किया। डा. संजीवन ने कहा कि त्याग मनुष्य को महान बनाता है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य में त्याग की भावना होनी चाहिए। भगवान राम ने एक आदर्श पुत्र का उदाहरण पेश किया। भगवान राम ने पुत्र, भाई, पति और मित्र हर रूप में एक आदर्श को स्थापित किया। हमें अपने बच्चों को बचपन से राम कथा सुनानी चाहिए। ताकि उनमें भी भगवान राम के संस्कार आ सके। इस पवित्र भूमि पर जन्म लेना गर्व की बात है।