सात टैक्स कलेक्टर के भरोसे गया नगर निगम, इस वर्ष एक हो जाएंगे सेवानिवृत्त

Deepak Kumar
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वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

20230411 095903 सात टैक्स कलेक्टर के भरोसे गया नगर निगम, इस वर्ष एक हो जाएंगे सेवानिवृत्त

नगर निगम की आर्थिक स्थिति को सुदृढ करने के लिए राजस्व को मजबूत करने की जरूरत होती है। लेकिन, गया नगर निगम में होल्डिंग टैक्स के निर्धारण व वसूली के लिए केवल सात टैक्स कलेक्टर पदस्थापित हैं। बाकी कमी को एक निजी ऐजेंसी के टैक्स कलेक्टर पूरा कर रहे हैं। जिनकी संख्या लगभग 35 बताई जा रही है। अब ऐसे में 53 वार्ड वाले गया नगर निगम में बने आवासीय और व्यवसायिक भवनों से होल्डिंग टैक्स का लक्ष्य हासिल करना एक बड़ी चुनौती है। गया नगर निगम के राजस्व शाखा में कार्यरत एक एक टैक्स कलेक्टर को कई वार्डों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें मनोज कुमार को वार्ड नं 01-07 तक, कुंदन कुमार को वार्ड नं 08-13 तक, वार्ड नं 14-20 तक प्रमोद कुमार, वार्ड नं 21-27 तक अनिल कुमार को, वार्ड 28-36 तक इन्द्रदेव को, वार्ड नं 37-46 तक सियाधार सिंह को जबकि 47 से 53 तक की जिम्मेवारी उमेश वर्मा को सौंपी गई है। निगम सूत्रों की मानें तो इनमें से एक प्रमोद कुमार इस वर्ष सिंतबर महीने में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। देखा जाए तो एक टैक्स कलेक्टर को कई वार्डों की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे होल्डिंग टैक्स के निर्धारण से लेकर शत प्रतिशत वसूली एक टेढ़ी खीर है। हालांकि सरकार ने होल्डिंग टैक्स के निर्धारित लक्ष्य की वसूली के लिए एक निजी एजेंसी को भी जिम्मेदारी दी है। इनके कर्मचारियों की संख्या करीब 35 के आसपास रहने की बात बताई जाती है। निगम में कार्यरत टैक्स कलेक्टर के वनिस्पत निजी टैक्स कलेक्टर को मासिक मानदेय के रूप में आधी से भी कम राशि का भुगतान किया जाता है। ऐसे में दो बातों पर ध्यान देने की जरूरत है कि यदि होल्डिंग टैक्स की शत प्रतिशत वसूली करने के लिए या तो टैक्स कलेक्टर की बहाली करने की जरूरत है या नहीं तो निजी कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि के साथ साथ इनके मानदेय में वृद्धि की जरूरत है। ताकि निजी कर्मचारी तन्मयता से सिद्दत के साथ निगम के प्रति समर्पित होकर कार्य निष्पादन कर सकें। वहीं हर महीने राजस्व शिविर आयोजित किया जाना चाहिए। ताकि छूट रहे मकानों को भी टैक्स के दायरे में लाया जा सके।

मिल रही जानकारी के अनुसार 2019-21 तक कराए गए भवनों और परती जमीन के करों के पुनर्निर्धारण के बाद कई भवनों के मालिकों से तो टैक्स लिए जा रहे हैं, लेकिन ऐसे लोगों का होल्डिंग कायम नहीं हो सका है। इधर, निजी ऐजेंसी के स्थानीय पदाधिकारी द्वारा अपने कर्मचारियों पर दो बातों के लिए बराबर दवाब बनाया जाता है कि शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करें और जिन मकानों में किराएदार रखा गया है उनके टैक्स में 1.5% की वृद्धि करते हुए वसूली की जाए। लेकिन केवल यह मौखिक रूप से है, लिखित आदेश जारी नहीं किया जाता है। वहीं कई निजी टैक्स कलेक्टर का कहना है कि किसी मकान में एक बार किराएदार के हिसाब से टैक्स निर्धारित कर वसूली शुरू कर भी दिया जाए तो इस बात की कौन गारंटी लेगा कि अमुक मकान को किराएदार द्वारा खाली कर दिया गया है और किस नए मकान में किराएदार आकर रहने लगे हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
अब सवाल है कि निगम के आय के श्रोत टैक्स ही है। लेकिन वसूली के लिए लगे कर्मचारियों के साथ कई प्रकार की समस्या है तो इसका निदान किसके पास है। जरूरत है समय समय पर टैक्स की समीक्षा करने की और इसे सरल और सुदृढ करने की।

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