‘गया जी’ को नमन! मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस साहसिक और ऐतिहासिक फैसले की चहुंओर सराहना

Deobarat Mandal
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अखिल विश्व आज से उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी ‘गया’ को आदरसूचक नाम ‘गया जी’ के नाम से जाना जाएगा। यह हर्ष के साथ साथ गौरव का क्षण है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पावन भूमि की केवल सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण ही नहीं, वरण बल्कि अखिल विश्व के समक्ष अद्वितीय उदाहण के रूप में रखने का कार्य किया। हर कोने से इस पर असंख्य लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगी है।
‘गया’ सच में आदर और सम्मान ‘जी’ का हकदार था जो मुख्यमंत्री ने प्रदान कर एक ऐतिहासिक इबारत लिखी है। इस फैसले के लिए नीतीश कुमार प्रशंसा ही नहीं बल्कि आदर के पात्र बन गए। बिहार के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है।
मोक्षदायिनी अन्तःसलिला फल्गु नदी पर 09 सितंबर 2022 को जब ‘गया जी’ डैम का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश ने किया था तो उस वक्त भी गया को ‘गया जी’ के नाम से सम्मानित कर एक मील का पत्थर रख दिए थे।
‘गया जी’ के बारे में हमारे वेद और पुराणों में जितने भी उल्लेख मिलते हैं, उसमें गया जी की पावन धरा को आदर के साथ वर्णन किया गया है। ‘गया जी’ के बारे में कई आख्यानों में इसकी चर्चा मिलती है। मोक्षभूमि और ज्ञान की भूमि गया जी और बोधगया विश्व पटल पर अपना विशेष महत्व रखता है।

जिस गया को ‘गया जी’ के नाम से नामकरण मुख्यमंत्री नीतीश ने किया है, सच में इतिहास इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम कभी नहीं भूलेगा।
2022 में जब फल्गु नदी पर रबर डैम बनकर तैयार हुआ था और इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जो प्रतिक्रिया आई थी, उसे भी सभी को याद करने की आवश्यकता है। यहां तर्पण करने को आने वाले लोगों में रही किसी महिला की व्यथा को उन्होंने बखूबी निभाया। जिन्होंने कहा था कि फल्गु में सालों भर पानी रहता तो तर्पण के लिए लोगों को मोक्षदायिनी फल्गु का जल सालों भर मिलता रहता। उस श्रद्धालु की भावनाएं केवल एक व्यक्ति से नहीं जुड़ी हुई थी, इस से जुड़ी हुई थी हर सनातनियों की भावना। जिसका मुख्यमंत्री ने कदर किया। डैम बने और उसका नाम ‘गया जी डैम’ रखा गया।
उसी दिन से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शायद संकल्प लिया हो और उसकी परिणति के रूप में उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी गया अब गया जी के नाम से जाना जाने लगा है।
इस आलेख के माध्यम से सरकार से यही अपेक्षा करते हैं कि गया जंक्शन का नाम भी ‘गया जी’ करने में केंद्र की सरकार विलंब नहीं करेगी। सारे सरकारी कार्यों में अब गया की जगह ‘गया जी’ का प्रयोग किया जाना ही इस पौराणिक शहर के लिए सम्मानजनक होगा।

देवब्रत मंडल, ‘गया जी

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