वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

एक तरफ बिहार सरकार जाति आधारित जनगणना को लेकर जल्दबाजी में है। वहीं गया में दूसरी तरफ बारिश ने इस काम में खलल डाल दिया है। कोर्ट से मिली हरी झंडी के बाद सरकार जाति आधारित जनगणना को जल्द पूरा करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है। पदाधिकारी और कर्मचारी इस काम में जुट भी गए हैं। लेकिन गया शहरी क्षेत्र में बारिश ने इस जनगणना का खेल बिगाड़ दिया है। या कहें कि खलल पड़ गई है। गया नगर निगम क्षेत्र में जाति आधारित जनगणना को लेकर कई आंकड़े तो कंप्यूटर प्रोग्राम में सुरक्षित कर लिए गए थे। कुछ और काम बाकी रह गए हैं। जिसके लिए संबंधित जानकारियां हासिल कर लिए जाने के बाद इसका केवल प्रोग्राम फीड कर कंप्यूटर में सुरक्षित रखने की बात थी। इस बीच जातीय जनगणना का मामला कोर्ट में चले जाने के कारण इस कार्य पर ब्रेक लग गया था।

“वहीं इस संबंध में नगर निगम की ओर से बताया कि जाति आधारित सर्वे कार्य का कुछ रिकॉर्ड वर्षा के कारण भींग जाने से संबंधित जो खबरें में चलाई जा रही है, उसके संबंध में कहना है कि वर्षा के कारण लगभग 11 से 12 ई. बी का प्रपत्र आंशिक रूप से नमी के कारण भींग गया था। जिसे सुखाकर ठीक कर लिया गया है। सभी रिकॉर्ड बॉक्स में रखे गए थे, जिसमे से कुछ भींग गए थे। इस सभी रिकॉर्ड की छायाप्रति नगर निगम में रखा गया है। इन सभी रिकॉर्ड का डाटा की एंट्री पूर्व में ही कराई जा चुकी थी, इसके खराब होने की बात गलत है और इसका खंडन किया जाता है।”
प्रशासक, नगर निगम, गया
अब जब कोर्ट ने जातीय जनगणना को सही बताया तो शेष कार्य को शीघ्र पूरा करने में संबंधित पदाधिकारी और कर्मचारी जुट गए हैं। इस बीच गया नगर निगम के सम्राट अशोक भवन में सुरक्षित रखे गए आंकड़ों वाले दस्तावेज बारिश के पानी से भीग गए। इसी भवन में जनगणना के लिपिकीय (मिनिस्टीरियल) कार्य कराए जा रहे हैं। इस बात का पता तब चला, जब यहां जातीय जनगणना कार्य करने वाले कर्मचारी और सम्बंधित पदाधिकारी पहुंचे। जिस कमरे में दस्तावेज(आंकड़े)सुरक्षित और सहेज कर रखे हुए थे, उनमें से कई बंडल बारिश के पानी से भीग गए। निगम के एक कर्मचारी (जनगणना कार्य से जुड़े) ने बताया कि जिस कमरे में आंकड़े(दस्तावेज)रखे हुए थे, उस कमरे के छत पर बरसात का पानी जम(वाटर लॉगिंग)गया था।
जिसके सहारे छत का पानी निकलना था, वहाँ एक वृक्ष और गंदगी जमा होने के कारण छत का पानी खिड़की के तरफ से कमरे में आ गया। जिससे दस्तावेज(संग्रह किए आंकड़े वाले कागजात)भीग गए। इसकी सूचना वरीय पदाधिकारी तक पहुंच गई। जिसके बाद भीगे हुए करीब 15 बंडल में रहे कागजों को सुखाने का काम चल रहा है। हालांकि इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है कि कुल कितने बंडल कागज भीग गए हैं। परंतु इतना बताया गया कि प्रयास किया जा रहा है कि आंकड़े नष्ट नहीं हो और निर्धारित समय से जातीय जनगणना के सारे कार्य शीघ्रता से निबटा लिया जाए।
वहीं इस संबंध में गया जिलाधिकारी के हवाले से बताया गया कि जाति आधारित सर्वे कार्य का कुछ रिकॉर्ड वर्षा के कारण भींग जाने से संबंधित जो समाचार प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चलाया जा रहा है, उसके संबंध में कहना है कि वर्षा के कारण लगभग 11 से 12 ई. बी का प्रपत्र आंशिक रूप से नमी के कारण भींग गया था, जिसे सुखाकर ठीक कर लिया गया हैl सभी रिकॉर्ड बॉक्स में रखे गए थे जिसमे से कुछ भींग गए थे! इस सभी रिकॉर्ड की छायाप्रति नगर निगम में रखा गया है, इन सभी रिकॉर्ड का डाटा की एंट्री पूर्व में ही कराई जा चुकी थी, इसके खराब होने की बात गलत है एवं इसका खंडन किया जाता है।