माँ का दूध शिशुओं के सर्वांगीण विकास हेतु है अति आवश्यक: डॉ. सहदेब बाउरी
जीबीएम कॉलेज में विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. सहदेब बाउरी ने की, जबकि संयोजन गृह विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियंका कुमारी द्वारा किया गया। कार्यशाला में स्त्री रोग, प्रसूति एवं आइवीएफ विशेषज्ञ डॉ. वर्षा श्रीवास्तव को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया, जिनका स्वागत पौधा प्रदान करके किया गया।
प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. बाउरी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए माँ के दूध को शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यावश्यक बताया और छात्राओं को डॉ. वर्षा द्वारा दी जाने वाली जानकारी को ध्यानपूर्वक सुनने और उसे जीवन में अपनाने की सलाह दी।
डॉ. वर्षा श्रीवास्तव ने ‘क्लोजिंग द गैप: ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि शिशु को जन्म से छः महीने तक केवल माँ का दूध देना चाहिए और इस दौरान पानी भी नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि दूध में ही जल की पूर्ति हो जाती है। उन्होंने स्तनपान के दौरान बरती जाने वाली सतर्कताओं और इसके फायदों पर भी प्रकाश डाला।
गृहविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियंका कुमारी ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए छात्राओं से घर की महिलाओं को भी शिशुओं को नियमित रूप से स्तनपान कराने के फायदों के बारे में बताने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दो वर्षों तक माँ को शिशु के आहार का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि कुपोषण जनित बीमारियों से बचा जा सके।
डॉ. शगुफ्ता अंसारी ने भी छात्राओं को इस संबंध में समाज के लोगों को जागरूक करने की सलाह दी, ताकि सभी शिशु स्वस्थ और निरोगी रहें। डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने शिशु के पहले दूध ‘कोलस्ट्रम’ के महत्व को बताते हुए इसे शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि स्तनपान के दौरान माँ और शिशु भावनात्मक रूप से भी और अधिक जुड़ जाते हैं।
कार्यशाला में डॉ. फरहीन वजीरी, डॉ. रुखसाना परवीन, प्रीति शेखर, डॉ. बनीता कुमारी, डॉ. प्यारे माँझी, नुजहत जहाँ, रागिनी, जूही, सृष्टि, जूली, सीमा, सिंकी, मुस्कान, श्रेया, अन्या, हर्षिता मिश्रा, नेहा, नैना, अंजलि, सोनाली एवं अन्य छात्राएँ उपस्थित थीं। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रश्मि ने किया।