देवब्रत

गया शहर के मुख्य पथों की साफ सफाई की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी को सौंप दिए जाने के बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं देखने को मिल रहा है। सड़क किनारे फैले हुए कचरे से आम जनता तो परेशान हैं ही। वहीं नगर निगम के टैक्स कलेक्टर( निजी एजेंसी के कर्मचारियों) से जनता सीधे तौर पर सवाल कर रही है कि आखिर उनके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रॉपर्टी टैक्स की राशि से क्या हो रहा है।
गुरुवार को magadhlive ने सचित्र रिपोर्ट प्रकाशित की थी

Magadhlive गुरुवार को भी सफाई अभियान में शिथिलता और लापरवाही को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित किया। इसके बाद निगम के जनप्रतिनिधियों से लेकर संबंधित पदाधिकारियों की तंद्रा भंग हुई। सड़कों पर फैले कचरे को उठाने के लिए वाहन और कर्मचारी सक्रिय हो गए। यहां तक कि देर शाम में शहर के उत्तरी भाग के एक दो वार्ड स्वीपिंग मशीन पहुंच गई।
तस्वीरें बयां कर रही है सफाई व्यवस्था का स्तर कैसा है

फिलहाल ताजी तस्वीर शुक्रवार की है। दो बजे से लेकर तीन बजे तक कैमरे में कैद की तस्वीरें बयां कर रही है कि स्वच्छता अभियान का स्तर क्या है। शहर के दक्षिण हिस्से में मंगलागौरी रोड में संगम टेलर, माडनपुर में आकाश इंस्टीट्यूट, दुर्गा मंदिर के सामने, सीताकुंड पुल के बाएं नारायणी माई बायपास, मारकण्डेय मंदिर, मंगलागौरी मंदिर के पूर्वी गेट के आगे आटा चक्की मिल के सामने कचरों के ढेर पड़े थे।
जनता टैक्स कलेक्टर से करती है सवाल-हमारे टैक्स के पैसे का क्या हो रहा है

सवाल शहरियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ की भी है और जनता के टैक्स के पैसे का भी है। निजी ऐजेंसी द्वारा प्रॉपर्टी टैक्स वसूली करने वाले कर्मचारी से क्षेत्र की जनता सवाल करती है कि जब टैक्स निगम ले रही है तो सफाई क्यों नहीं होता है। कर्मचारी उनके सवालों से परेशान होकर सिर्फ इतना ही कहकर बचते हुए नजर आते हैं कि आपकी बात संबंधित वार्ड पार्षद और पदाधिकारी तक पहुंचा दिया जाएगा।
Magadhlive की खबर का असर, ऐजेंसी से मांगा गया है स्पष्टीकरण, हुई कटौती भी

शहर में निजी एजेंसी द्वारा मुख्य पथों की सफाई का जिम्मा सौंपा गया है। इस संबंध में पूछे जाने पर निगम के स्वच्छता पदाधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को ही उपनगर आयुक्त के माध्यम से संबंधित एजेंसी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही गत महीने एजेंसी द्वारा प्रस्तुत किए गए विपत्र से करीब 50 प्रतिशत राशि की कटौती कर भुगतान के लिए रिपोर्ट की गई है। बताया जा रहा है कि अप्रैल महीने का भी विपत्र संबंधित एजेंसी ने भुगतान के लिए समर्पित किया है। अब देखना होगा कि इस बार एजेंसी के साथ निगम कौन सा रुख अख्तियार करने जा रहा है।