मानवीय संवेदना एवं वर्तमान परिवेश की कहानी हैं ‘वापसी’: अबरार आलम

Deobarat Mandal

टिकारी संवाददाता

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टिकारी संवाददाता: प्रख्यात कहानीकार व साहित्यकार उषा प्रियंवदा द्वारा लिखित कहानी ‘वापसी’ सनातन संस्कृति, संयुक्त परिवार और मानवीय संवेदना की तस्वीर है। यह पूरी कहानी नायक गजाधर बाबू के इर्द – गिर्द घूमती है। गजाधर बाबू अपनी रेलवे की पैतिस वर्ष की सेवा के बाद परिवार के सुख का सपना संजोये घर वापस आते हैं। लेकिन घर का परिवेश उनके सपनों को चकनाचूर कर देता है। उनकी उपस्थिति उनके बच्चों को नागवार गुजरती है और अंत में वे दूसरे काम पर वापस चले जाते हैं। नगर के एक किड्स स्कूल परिसर में आयोजित कहानी विथ काफी के 11 वीं कड़ी के रूप में वापसी कहानी पाठ एवं चर्चा के दौरान वक्ताओं ने उपरोक्त बातें कही। कार्यक्रम की शुरुआत संजय अथर्व द्वारा कहानी पाठ से हुई। रामेश्वर उच्च विद्यालय, बेलागंज के प्राचार्य मो. अबरार आलम ने कहा की इस तरह के कार्यक्रम से युवाओं में साहित्य का लगाव बढ़ेगा। यह कहानी आज से छह दशक पूर्व लिखी गई थी और आज यह कहानी घर -घर में घटित हो रहा है। शहर के चर्चित हिंदी शिक्षक डा. राजन ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है एवं साहित्यकार दूरदर्शी होते हैं। नारायण मिश्रा ने कहा कि इस कहानी में संयुक्त परिवार के क्षरण को दर्शाया गया है। हिमांशु शेखर ने कहा कि कहानी के माध्यम से बुजुर्गों की उपेक्षा एवं अकेलापन को दर्शाया गया हैं। इस कार्यक्रम में मनीष कुमार, नदीम हसन सहित कई साहित्य प्रेमी मौजूद थे।

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