देवब्रत मंडल

ये जो नजारे आप देख रहे हैं, यह गया जंक्शन के न्यू कोचिंग कॉम्प्लेक्स (वाशिंग पिट लाइन) के पास के हैं। यहां ट्रेनों से निकलने वाले कचरे को एकत्र कर आग लगा दी जाती है। जिससे उठने वाले धुएं से आसपास रहने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है और साथ ही पर्यावरण दूषित हो रहा है। जबकि ऐसा करना कानूनन गलत है।
अधिकारी ने कहा-इस मामले को दिखवाते हैं
कैरिज एंड वैगन विभाग के एक रेल अधिकारी से जब बात कर इस प्रकार की हो रही गलती की ओर ध्यानाकृष्ट कराया गया तो उनका कहना था कि वे इस मामले को दिखवाते हैं। रेल अधिकारी का कहना है कि कचरे को कहीं दूर ले जाकर डंप करने के लिए संवेदक को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सांसों की तकलीफ बढ़ने का बन रहा है खतरा
इस स्थल से सटे कॉटन मिल बालाजी नगर एक मोहल्ला है। यहां के रहनेवाले लोगों ने रेल प्रशासन से इस पर रोक लगाने की मांग की है। लोगों की घनी आबादी यहां बसी हुई है। इधर, स्थानीय लोगों का कहना है इससे उठने वाले धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। विशेष कर वृद्ध एवं शिशुओं को काफी परेशानी होती है।
लोगों ने बताया ये केवल एक दिन का नजारा नहीं है, अक्सर कचरे को डंप कर इसमें आग लगा दी जाती है। जिससे पर्यावरण बिगड़ने का खतरा बढ़ रहा है।
मॉर्निंग वॉक करने वाले और खेलने वाले बच्चे भी प्रभावित
आसपास आबादी बसी हुई। लोको कॉलोनी में तो अब काफी कम की संख्या में ही रेल कर्मचारियों के आवास बचे हुए हैं और जो रह रहे हैं, उनलोगों का भी कहना है इस वाशिंग पिट लाइन के आसपास कचरे का ढेर लगा रहता है। जिससे उठने वाले दुर्गंध से पास के लोको फील्ड में मॉर्निंग वॉक करने तथा खेलने वाले बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
रेलकर्मियों और उनके आश्रितों ने भी कोचिंग कॉम्प्लेक्स के अधिकारी से इस मामले पर संज्ञान लेने की आवश्यकता पर बल दिया है।
