✍️ देवब्रत मंडल
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 19 अप्रैल को गया संसदीय क्षेत्र में वोट डाले जाएंगे। गया संसदीय क्षेत्र में तस्वीर साफ हो गई है कि मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री के बीच ही होना है। हम(से.) बनाम राजद के बीच होने वाले फाइनल मुकाबले के लिए ‘राजनीतिक ग्राउंड’ सज धज कर तैयार हो गया है। दोनों दल के नेताओं के समर्थकों की टीम मैदान में उतर गई है लेकिन गेंद किस पाले में डालना है यह वोटर तय करेंगे।
इसलिए दोनों दल के नेता ‘समाज’ के और वोटर के ‘ठेकेदारों’ के हाथ में सबकुछ डाल दे रहे हैं। यानी दोनों प्रत्याशियों के चुनावी भविष्य इन्हीं ठेकेदारों में है।
चुनावी माहौल में रुपए खर्च करने की सीमा तो निर्वाचन आयोग तय कर देती है लेकिन ये भी सत्य है कि यह सीमा पार कर ही कोई भी प्रत्याशी चुनाव लड़ता है। भले ही क्यों न खेत, जमीन, मकान गिरवी रखने पड़ जाएं। एक जीत के लिए सबकुछ कुर्बान। अपनी कुर्बानी देने के लिए किसी दूसरे के हाथ में हथियार तो देना ही पड़ता है तो स्वाभाविक है कि प्रत्याशियों के चुनावी गर्दन झुकेगा ही।
बात गया शहरी विधानसभा क्षेत्र की करें तो बातें देखने, सुनने और समझने की है कि यहां दोनों दल के प्रत्याशियों ने समाज और वोटर के ठेकेदार के हाथ में चुनाव जीतने के लिए गर्दन झुका दिया है। एक दल के प्रत्याशी को विजयश्री के दरवाजे तक ले जाने के लिए एक ऐसे ठेकेदार के हाथ सबकुछ सौंप दिया है जो एक वार्ड का चुनाव हार चुके थे। ये अलग बात है कि किसी की कुर्बानी और मेहरबानी से पार्षद बन गए। चर्चा है कि गया शहरी क्षेत्र में इनके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है जो अबतक विधानसभा का मुंह तक नहीं देख सके। हालांकि कोशिश बराबर करते हुए आ रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ जो कई वर्षों से अंगद की तरह अपना पैर जमाए हुए हैं उनके हाथ में एक दल के प्रत्याशी का चुनावी राजनीति बनाने से लेकर उसे धरातल पर उतारने के लिए सबकुछ सौंप दिया गया है। दोनों चिर प्रतिद्वंद्वी भी हैं। यहां राजद और हम(से.) के सिंबल पर चुनाव हो रहा है लेकिन मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन से हो रहा है। ऐसे में स्वाभाविक है कि भाजपा, जदयू, रालोसपा और लोजपा एकसाथ हम(से) के प्रत्याशी जीतनराम मांझी के लिए काम कर रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस, वाम दल, राजद के प्रत्याशी कुमार सर्वजीत के लिए काम कर रही है।
दोनों दल के लोग ‘समाज’ के ठेकेदार और ‘वोटर’ के ठेकेदार के दरवाजे पर नतमस्तक नजर आ रहे हैं।
गया संसदीय क्षेत्र में 19 अप्रैल को मतदान की तारीख तय कर दी गई है। प्रत्याशियों के चुनावी कार्यालय भी खुल गए हैं। जहां समर्थकों का आना जाना लगा हुआ रहता है लेकिन इस बीच एक खबर ये भी आ रही है अधिकृत तौर पर खोले गए कार्यालयों के अलावा भी अघोषित कार्यालय चल रहे हैं। जहां नीति निर्धारकों की गुप्त बैठक हुआ करती है। जहां निर्वाचन आयोग की नजर शायद गई भी है या नहीं ये पता नहीं पर जो सूत्र बताते हैं उनके अनुसार इस तरह के कार्यालय शहर के होटल में और कुछ नेताजी के निजी प्रतिष्ठानों में संचालित हो रहे हैं।
अब मतदान की तारीख नजदीक आ गई है। 17 अप्रैल की शाम चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। इस हिसाब से देखा जाए तो केवल 10 दिन ही शेष बचे हैं। इन शेष दिनों में ही दोनों को हर प्रकार की तैयारी पूरी कर लेनी होगी ताकि अधिक से अधिक वोटर उनके पक्ष में मतदान कर सकें और उन्हें जीत दिला सकें।