देवब्रत मंडल
बिहार में शराबबंदी लागू हुए नौ साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन गया जिले में शराब के अवैध कारोबार का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। मद्य निषेध विभाग की टीम अब घरों और गांव की किराने की दुकानों से संचालित हो रहे इस धंधे पर कार्रवाई कर रही है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे अब घरों और दुकानों से शराब बेचने का खेल बदस्तूर जारी है, जो प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।शराबबंदी के बाद भी, गया में अवैध शराब की बिक्री और देसी शराब के निर्माण पर पूर्ण नियंत्रण नहीं लग पाया है। यह स्थिति तब भी थी जब जिले में शराब की दुकानों के लाइसेंस दिए जा रहे थे और अब भी ऐसे ही जहरीली शराब कांड की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
बिहार में शराबबंदी अब एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है। चाहे केंद्रीय मंत्री और हम सेक्युलर पार्टी के संरक्षक जीतनराम मांझी हों या जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर, दोनों नेता शराबबंदी के मुद्दे पर प्रशासन पर तीखे सवाल उठाते रहे हैं।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 26 नवंबर 2015 को शराबबंदी की घोषणा की थी और 5 अप्रैल 2016 को इसे आधिकारिक रूप से लागू किया गया था। लेकिन, आज भी गया जिले में शराब माफियाओं का नेटवर्क व्यापक रूप से फैला हुआ है, जो प्रशासनिक सख्ती के बावजूद बेखौफ होकर अवैध कारोबार में लिप्त है।