रिपोर्ट: दीपक कुमार
फतेहपुर, गया – गया जिले के फतेहपुर थाना क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बगोदर में एक शिक्षक द्वारा 12 वर्षीय नाबालिग छात्रा के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठे हैं। आरोपी शिक्षक धीरज पांडे को पुलिस ने थाने में लाकर कुछ घंटों बाद ही छोड़ दिया, लेकिन मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद दूसरे दिन FIR दर्ज की गई।
घटना की पृष्ठभूमि
पीड़िता के दादा द्वारा थाने में दी गई शिकायत के अनुसार, 18 फरवरी 2025 को स्कूल की छात्रा पिंकी कुमारी (काल्पनिक नाम) जब अपनी दो सहेलियों के साथ चापाकल पर पानी पीने जा रही थी, तो प्रभारी शिक्षक धीरज पांडे (50 वर्ष) ने उसे अपने कक्ष में बुलाकर अशोभनीय व्यवहार किया। घटना के बाद बच्ची रोती हुई घर पहुंची और परिवार को सारी बात बताई।
परिवार का आरोप: पुलिस ने दिखाई मेहरबानी
19 फरवरी को परिवार और ग्रामीणों ने स्कूल पहुंचकर धीरज पांडे से सवाल किए, लेकिन उसने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। ग्रामीणों की सूचना पर विद्यालय पहुंची फतेहपुर थाने की पुलिस ने आरोपी को थाने लाकर पूछताछ की, मगर कुछ घंटों बाद ही उसे छोड़ दिया। पीड़िता के दादा ने आरोप लगाया, “पुलिस ने हमारी बात नहीं सुनी। दूसरे दिन जब केस की नकल लेने थाने गया तो ड्यूटी पर रहे अपर थाना प्रभारी ओमशंकर ओझा से हमने सिर्फ इतना पूछा कि सर आप शिक्षक को क्यों छोड़ दिए इतने में अपर थाना अध्यक्ष ने हमें डांट फटकार कर भगा दिया और कहा, ‘तुम मेरा मालिक हो क्या? “
वहीं इस संबंध में थाना अध्यक्ष प्रशांत कुमार ने बताया कि कल शाम में छुट्टी से लौटा हूं। आरोपी शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
मीडिया में खबरों के बाद FIR, पुलिस की खामोशी
जब यह मामला स्थानीय मीडिया एवं सोशल मीडिया में सुर्खियां बनी, तो 20 फरवरी को पुलिस ने धीरज पांडे के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत FIR दर्ज की। हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने यह स्पष्ट करने से इनकार कर दिया कि आरोपी को पहले क्यों छोड़ा गया।
आरोपी का पुराना रिकॉर्ड भी खराब
पीड़िता के दादा द्वारा दिए गए लिखित शिकायत में खुलासा हुआ कि धीरज पांडे पर पहले भी स्कूल की एक शिक्षिका के साथ छेड़छाड़ का आरोप लग चुका है। उस समय उसने माफी मांगकर मामला रफा-दफा करवाया था।
शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच
इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) ने प्रखंड शिक्षा अधिकारी को तत्काल जांच का आदेश दिया है। DEO ने बताया, “अगर शिक्षक दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।” ग्रामीणों ने स्कूल प्रशासन और पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए त्वरित न्याय की मांग की है।
यह मामला न केवल एक शिक्षक की नैतिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है, बल्कि पुलिस की जवाबदेही और मीडिया की भूमिका को भी रेखांकित करता है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पीड़िता के परिवार को न्याय मिल पाएगा या फिर यह मामला भी फाइलों की धूल चाटने के लिए अटक जाएगा।