देवब्रत मंडल

गयाजी शहर में दुखहरणी मंदिर है। यहीं पर शहर का जामा मस्जिद भी। इसी जगह पर एक वृद्ध महिला बिल्कुल ही लाचार पड़ी हुई थी। वदन पर वस्त्र नाम मात्र। दुर्बल, दुखिया पर अनगिनत लोगों की नजर गई होगी। किसी ने सुध लेना मुनासिब नहीं समझा। क्यों नहीं समझा ये गंभीर चिंता से ज्यादा चिंतन करने का विषय है।
बात 24 मई 2025 की है। इस असहाय और लाचार वृद्ध महिला किसी की माँ होंगी। निःसंतान भी हो सकती हैं। इसके बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं है। दुनियां में जितने भी दर्द होते होंगे, उस दर्द से तड़प रही इस वृद्ध महिला पर एक व्यक्ति की दृष्टि पड़ गई। उसकी अंतरात्मा ने उसे झकझोर दिया। मानवता जागृत हुई। उसने पुलिस विभाग के 112 नंबर को डायल कर मदद करने के लिए मुक्तकंठ खोले। इनकी आवाज डायल 112 तक पहुंची भी पर आश्वासन की घूंट पिला दी गई। कई घन्टे बीत गए, पुलिस मदद करने को समय से नहीं आई। दिन से रात हो गई। इस व्यक्ति के मन की व्यथा और टीस मारने लगी। रात नौ बजे के बाद फिर डायल 112 को आवाज लगाई। वही रट रटाया आश्वासन मिला और रात गुजर गई।
अगले दिन रविवार की सुबह जब मंदिर में घन्टी बजने लगी। मस्जिद से अज़ान दिया जाने लगा तो इस सहृदयी व्यक्ति, जिसमें मानवता कूट कूट कर भरी हुई थी को लगा कि बुढ़िया को सहायता प्रदान करा दिया होगा। लेकिन इस व्यक्ति की सोच और सच्चाई में काफी फर्क था। बुढ़िया कल से भी अधिक तकलीफ़ में थी। किसी वाहन से इसके हाथ को गहरी चोट भी पहुंच गई थी। रक्त बह रहे थे। तब इस व्यक्ति से रहा नहीं गया। इन्होंने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ magadhlive news को आवाज लगाई।
उक्त सारे वाक्यात से जब हम अवगत हुए तो लगा कि अब कलम ही दोनों की वेदना(वेदना से तड़पती वृद्ध महिला और सहृदयी मो. नौशाद) को दूर कर सकता है। एक रिपोर्ट बनाने से पहले एक जिम्मेदार पुलिसकर्मी को इन सारी घटनाओं और सच्चाई से रूबरू कराया(फोटो और वीडियो भेजकर)। इन्होंने भी अपनी ड्यूटी निभाई और निकट के थाना पुलिस को इसकी जानकारी दी। परंतु ढाई घंटे बीत गए कोई नहीं आया।
तब कलम उठाई। एक रिपोर्ट लिख कर पोस्ट कर दिया। जो कि पत्रकारिता धर्म था। खबर साहेब तक पहुंची। सभी की सक्रिय हो गए। कार्यवाही शुरू हो गई। बात पुलिस महकमे से सामान्य प्रशासन तक पहुंच गई। इसके बाद कुछ कर्मचारी आए और लाचार, वेदना से तड़प रही महिला को ले जाया गया। उम्मीद है कि प्रशासन वृद्ध महिला की शारीरिक पीड़ा को अवश्य दूर कराएगी। बात सरकार तक जाए या नहीं जाए लेकिन कलम की जय हुई और मानवता की विजय। मो. नौशाद कहते हैं- magadhlive ने लाचार और बेवस महिला के लिए कलम उठाई और जन-जन की आवाज बनी।