देवब्रत मंडल

ये गया जी का गया जंक्शन है। ये नजारा किसी झील या तालाब का नहीं। यात्री आएं तो किधर से और जाएं तो जाएं कैसे। यह तो बस बरसात की पहली झलक है और अभी पूरा पिक्चर बाकी है। अंदर यात्री शेड से पानी टपकता है। कई प्लेटफॉर्म पर तो शेड भी नहीं बना है। गया जंक्शन को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की तर्ज पर बनाने की कवायद कब से शुरू है और कब बनकर तैयार होगा इसकी कोई निश्चित समय सीमा कोई भी बताने को तैयार नहीं। अधिकारी आते हैं और निर्देशों की झड़ी लगा कर चल देते हैं।

मामला वहीं पर खत्म। गुणवत्तापूर्ण निर्माण की गारंटी नहीं है और इसके लिए कोई पैमाना भी तय नहीं। जिधर देखें उधर ही मुसीबत। डेल्हा साइड से लेकर मुख्य प्रवेश द्वार(पूरब दिशा) की दशा देखने के बाद हर यात्री यही कहते सुने जाते हैं, “इससे कब मुक्ति मिलेगी? बहरहाल, करोडों रुपये अबतक खर्च हो चुके हैं लेकिन यात्रियों को असुविधा का ही सामना करना पड़ रहा है। पार्सल कार्यालय, आरएमएस कार्यालय, रेल थाना से लेकर आरपीएफ पोस्ट तक के रास्ते पर पैदल चलना मुश्किल।

यही हाल डेल्हा साइड में है। अतिक्रमण और कीचड़युक्त रास्ते से यात्रियों का आना जाना हो रहा है। आने वाले पितृपक्ष मेला में भी बारिश होती ही है तो स्वाभाविक है कि देश विदेश से गया जी आने वाले पिंडदानियों को परेशानी होगी। विकास कार्य गतिमान है लेकिन असुविधा भी साथ साथ चल रही है। बारिश होने पर प्लेटफॉर्म पर रहे यात्रियों को जो परेशानी हो रही है वो अलग। वर्तमान में जो प्रतीक्षालय है उसकी भी दशा ठीक नहीं। पूरब दिशा से प्लेटफॉर्म पर आने वाले मार्ग की स्थिति अच्छी नहीं।