देवव्रत मंडल

चरित्र, चाल और चेहरा। चुनाव में मायने रखता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम 14 नवंबर को आ रहे हैं लेकिन गया जिले के 10 विधानसभा क्षेत्र में मतदान सम्पन्न होने के बाद नतीजों पर चर्चाएं हो रही है।
जनसुराज के पोलिंग एजेंट को देखने वाले नहीं आए
गया जिले के 230 विधानसभा चुनाव क्षेत्र के मतदान केंद्र संख्या 68 के जनसुराज के पोलिंग एजेंट ने बताया कि न तो कोई सुध लेने वाले बूथ पर आए और न तो खाना पानी मिला। ये तो बाबू भाई(पूर्व वार्ड पार्षद के प्रतिनिधि) ने भोजन पानी उपलब्ध करवाए। यहां वोट बीजेपी को सर्वाधिक मिलने की बात बताई।
वोटरों के ठीकेदार बिगाड़ सकते हैं खेल
230 गया शहर विस क्षेत्र में इस बार वोटरों के ठीकेदारों की चांदी रही। कहें तो ‘माल महाराज के और मिर्जा खेले होली’ वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। गठबंधन के प्रत्याशियों ने यहां वोटरों के ठीकेदारों को नियुक्त कर रखा था। जो हर ओर से ‘मालपानी’ लेकर सभी को भरोसा दिलाया कि आपकी जीत सुनिश्चित होगी। और यही चरित्र खेल बिगाड़ सकता है।
जाति के बंधन से कुछ ही बंधन मुक्त हुए
बिहार का चुनाव जाति पर आधारित मानकर चलेंगे तो गया शहर विस क्षेत्र में यह चरम पर देखने को मिले। जहां प्रेम कुमार के स्वजातीय उनका साथ देते नजर आए, वहीं अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के जाति के लोगों ने भी साथ दिया है। भले ही किसी गठबंधन में थे। लेकिन कई अन्य जाति के लोग भी इस जातीय बंधन से मुक्त नजर आए।
यहां पर बदले हुए हालात पर तरस आता है
गया जी शहर के उत्तरी भाग के कई वार्ड और मोहल्ले में जो बातें सुनने को मिले। उसके अनुसार, कई दफे दोनों गठबंधन के प्रत्याशी और उनके कर्ता धर्ता से फेस टू फेस हुए। ख़र्चा पानी भी लेते रहे और जब मतदान की बारी आई तो पलटी मार दी। ऐसे में जो भी चुनाव कार्य को लेकर अग्रिम पंक्ति में थे, इस बदले हुए हालात पर उनको तरस आ गया।
.और अंत में
एक बाबा जी ने मंदिर के नाम पर दोनों गठबंधन के नेताजी से चंदा के रूप में वसूल लिए। इनके मोहल्ले में वोटरों की संख्या को देखते हुए दोनों गठबंधन के लोगों ने साथ मांगा। दोनों को वचन भी दे दिए। अब जब मतगणना की बारी आई है तो कहते हुए सुने जा रहे हैं-जनता मालिक है।
