
टिकारी संवाददाता: दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय में चाणक्य भवन के संवाद कक्ष में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में बदलाव: औचित्य और आवश्यकता विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम सामाजिक विज्ञान एवं नीति पीठ द्वारा किया गया। इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने अपने विचार साझा करते हुए एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में हाल में किये गए बदलाव को आवश्यक एवं समय की आवश्यकता के अनुरूप बताया। परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. रतिकांत कुम्भर ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में देखने की जरूरत है। सहायक आध्यापक आतिश दास ने कहा कि छात्रों की क्षमता एवं आवश्यकता को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम में समय समय पर बदलाव किया जाता रहा है। इस अवसर पर ऐतिहासिक अध्ययन एवं पुरातत्त्व विभाग के अध्यक्ष डा. सुधांशु कुमार झा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि समय के साथ नए- नए विषयों के सामने आने से पाठ्यक्रम में उनके समायोजन की आवश्यकता होती है।
उन्होंने विशेष रूप से इतिहास के पाठ्यक्रम में हुए बदलाव के संदर्भ में कहा कि अब राजनीतिक इतिहास की जगह विभिन्न नीतियों, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, आर्थिक इतिहास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जैसे विषय सामने आ रहे हैं, जिन्हें पाठ्यक्रम में स्थान देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक विज्ञान एवं नीति पीठ के कार्यवाहक अधिष्ठाता प्रो. प्रणव कुमार ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव नवीन सामाजिक आवश्यकता के परिप्रेक्ष्य में निरंतर होते रहता है और यह बदलाव विशेषज्ञ समिति द्वारा एक निश्चित मानदंड के अनुरूप होता है I इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का बारीक रूप से संयोजन और संतुलन किया जाता है। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने भी अपना विचार रखते हुए कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव को 21वीं सदी की आवश्यकता के अनुरूप छात्रों को तैयार करने के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना चाहिए। इस संवाद कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं शोध छात्र श्वेतांक, रुपेश, मनोज, रामकृष्ण, ताहिरा एवं राहुल आदि उपस्थित थे I