
गया नगर में वैसे तो सरकार की ओर से पत्रों के आने और यहां से जाने का सिलसिला चलता रहता है लेकिन कोई कोई पत्र ऐसा होता है जो हलचल पैदा कर देता है। काफी समय से ठहरे हुए पानी में एक कंकड़ फेंक दिया गया है और पानी की तरंगों ने नया हलचल मचा दिया है।
मामला काफी पुराना है जो सुर्खियों में रहा है। बीच में यह मामला कोर्ट कचहरी के बीच से होते हुए शिथिल पड़ गया था। जिसके बाद शांत हो चला था लेकिन इस बार एक नए सिरे से एक पत्र के गया नगर निगम में पहुंचने पर फिर चर्चा शुरू हो गई है कि अब आगे क्या होगा?
नवंबर माह की पहली तारीख को एक पत्र राज्य के एक आयोग से निर्गत हुआ जो 02 नवबंर को गया नगर निगम में पहुंच गया। पत्र नगर आयुक्त के नाम से आया है। जिसमें दो लोगों को इसकी सूचना देने का निर्देश दिया गया है।
ये दो लोग कौन हैं, इसकी चर्चा बाद में करेंगे। पत्र कहें या नोटिस। दोनों को तामिला करवाते हुए 6 नवंबर तक आयोग को सूचित करने को कहा गया है।
21 नवंबर को दोनों को आयोग में पेश होने के लिए कहा गया है। दोनों को अपना अपना पक्ष रखने के लिए साक्ष्य के साथ बुलाया गया है। नगर निगम सूत्रों के हवाले से बताया गया है संबंधित दोनों के पास आयोग के निर्देश के आलोक में नोटिस भेजा जा रहा है।
कुछ समय पहले एक बड़ा संकट टल गया था। जिसको लेकर सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर यह चर्चा आम हो चुकी थी कि अब दुश्मन(विरोधियों) के चेहरे पर कालिख लग गया है लेकिन इस नए पत्र ने एक बार फिर से निगम में हलचल पैदा कर दिया है।