देवब्रत मंडल

दुनिया के सभी देश 12 जून को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस मना रहे हैं। जो सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के लिए एक गंभीर मुद्दा है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा किया जाने वाला वह काम है जो किसी भी तरह से उनका शोषण करता है, उन्हें मानसिक, शारीरिक या सामाजिक नुकसान पहुँचाता है, या उन्हें जानलेवा खतरे में डालता है यह बाल श्रम में आता है। जो गैरकानूनी भी है। बाल श्रम को जड़ से मिटाने व लोगों में इसके दुष्परिणाम से बचाने के लिए पीपुल फर्स्ट संस्था अंतर्गत संचालित रेस्क्यू जंक्शन द्वारा गुरुवार को संस्था के कार्यालय से एक जागरूकता रैली निकाली गई जो गया जी जंक्शन से होते हुए पुनः रेस्क्यू जंक्शन पहुंची।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से संस्था की अध्यक्षा गोपा सिन्हा शामिल हुईं। जिनके नेतृत्व में जागरूकता कार्यक्रम सह पैदल मार्च का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से आम लोगों, नियोक्ताओं, दुकानदारों, वेंडरों आदि को अवगत कराया गया कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम न करवाएं। यह कानूनन अपराध है। इससे बच्चो के भविष्य भी अंधेरे में पड़ जाएंगे। बच्चों से काम लेने पर छः महीने की जेल अथवा 20,000 से 50,000 तक जुर्माने का प्राविधान है। संस्था की अध्यक्षा गोपा सिन्हा ने बताया कि बाल श्रम की प्रमुख वजह गरीबी है। चाइल्ड लेबर मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से खतरनाक और बच्चों के लिए हानिकारक है। बालश्रम के तहत बच्चे गुलाम बन जाते हैं, अपने परिवारों से अलग हो जाते हैं और बंधुआ मजदूर के रूप में अपने मालिक के पास काम करते रह जाते हैं। इसलिए हमारा संकल्प है कि बालश्रम को रोकने में हमारी संस्था हर संभव प्रयास करती आई है। भविष्य में भी निरंतर करती रहेगी। वहीं रेस्क्यू जंक्शन के परियोजना निदेशक अमित कुमार ने कहा कि बाल श्रम एक चुनौती है इसके लिए हमारे स्टाफ समय समय पर जागरूकता कार्यक्रम चला कर लोगों को जागरूक करते है एवं मलिन बस्तियों में जाकर अभिभावकों को भी समझाते हैं कि बाल श्रम करवाने से उन्हें एवं उनके परिवार को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इस जागरूकता सह पैदल मार्च कार्यक्रम में समन्वयक जाहिद अख्तर, टीम मेंबर निशा कुमारी, मनोज कुमार, सुशील कुमार, संध्या कुमारी, कहकशा अम्बर, पारस नाथ, सुषमा कुमारी एवं संस्था में अध्ययनरत स्लम एवं स्ट्रीट के बच्चे भी शामिल थे।