देवब्रत मंडल

गया में प्रधानमंत्रियों की प्रतिमाओं और ऐतिहासिक धरोहरों की उपेक्षा के खिलाफ कांग्रेस ने नाराजगी जताई है और अब इसकी दशा सुधरने तक आंदोलन करने की बात कही है। कुछ दिन पहले ही Magadhlive ने एपी कॉलोनी स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम की दुर्दशा पर सचित्र रिपोर्ट प्रकाशित किया था। अब इसे लेकर आंदोलन की बात होने लगी है।
चरणबद्ध तरीके से आंदोलन का शंखनाद
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू और गया जिला कांग्रेस कमिटी के नेताओं ने गया में दो प्रधानमंत्रियों की प्रतिमाओं और ऐतिहासिक धरोहरों की उपेक्षा के खिलाफ जन जागरण अभियान और चरणबद्ध आंदोलन का शंखनाद किया है।
जवाहर टाउन हॉल और इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम की दुर्दशा

नेताओं ने कहा कि जवाहर टाउन हॉल और इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम दोनों ही जर्जर हालत में हैं और इनका रख-रखाव नहीं किया जा रहा है। जवाहर टाउन हॉल में नगर निगम और स्थानीय प्रशासन द्वारा स्टोर और जनगणना कार्यालय खोले गए हैं, जबकि इसके बरामदे पर सब्जी विक्रेताओं द्वारा अतिक्रमण किया गया है। इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में भी पाइप और अन्य सामग्रियों का स्टोर बना हुआ है और इंदिरा गांधी की प्रतिमा उपेक्षित है।
ऐतिहासिक महत्व के इन दोनों जगहों के जीर्णोद्धार की मांग
कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि दोनों ऐतिहासिक धरोहरों का जीर्णोद्धार और दोनों प्रधानमंत्रियों की प्रतिमाओं का बेहतर रख-रखाव किया जाए। नेताओं ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वे चरणबद्ध आंदोलन चलाएंगे। नेताओं ने कहा कि वे अब लाचार होकर राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और गया नगर निगम को ऐतिहासिक गौरवशाली धरोहरों और देश के दो प्रधानमंत्रियों की प्रतिमाओं की उपेक्षा का जिम्मेदार मानते हुए चरणबद्ध आंदोलन चलाएंगे, जब तक इसका जीर्णोद्धार और निर्माण कार्य शुरू नहीं होता।
कांग्रेस के टिकट पर कई बार भाग्य आजमाते आ रहे पूर्व डिप्टी मेयर
यह विडंबना ही है कि गया शहरी विधानसभा चुनाव क्षेत्र से गया नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर वार्ड नं 26 के पार्षद सह सशक्त स्थायी समिति के सदस्य अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव कई बार भाग्य आजमाते हुए आ रहे हैं लेकिन अबतक पराजय का ही सामना करना पड़ा है। हालांकि डिप्टी मेयर रहते हुए भी इनकी नजरों के सामने दोनों पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमाएं उपेक्षित ही रही है। अब देखना होगा कि आंदोलन का स्वरूप कैसा रहेगा और इसके परिणाम क्या होते हैं।