टिकारी संवाददाता: लीवर कैंसर के उपचार के लिए स्टेम सेल से डिज़ाइनर टी कोशिकाओं के विकास पर शोध के लिए सीयूएसबी को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) भारत सरकार से 92.12 लाख रुपये का अनुसंधान अनुदान दिया है। सीयूएसबी को स्टेम सेल और इम्यूनोलाजी के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान करने के लिए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) पटना और राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईपीईआर) हाजीपुर के सहयोग से अनुसंधान अनुदान प्राप्त हुई है। सीयूएसबी के स्कूल आफ अर्थ बायोलाजिकल एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज के डीन प्रो. रिजवानुल हक, मुख्य अन्वेषक की अध्यक्षता वाली टीम में रूप में सीयूएसबी के बायोटेक्नोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. कृष्ण प्रकाश, आईजीआईएमएस, पटना से सह-पीआई के रूप में फार्माकोलाजी विभाग के डा. मरगूब अहमद और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलाजी और लिवर ट्रांसप्लांट विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राकेश कुमार सिंह, नाइपर, हाजीपुर से सह-पीआई के रूप में सहायक प्रोफेसर डा. मुरली कुमारसामी शामिल हैं। कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह, कुलसचिव प्रो. नरेंद्र कुमार राणा और विभाग के अन्य संकाय सदस्यों ने शोध टीम को अनुदान के लिए बधाई दी है।

पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि शोध टीम को तीन साल की अवधि के लिए कुल 92.12 लाख स्वीकृत किए गए हैं। जिसमें से सीयूएसबी को फंडिंग एजेंसी से 53 लाख रुपये जारी किए गए हैं। प्रो. रिजवानुल हक को स्टेम सेल तकनीक और इम्यूनोथेरेपी आधारित दवा विकास के क्षेत्र में व्यापक अनुभव है। उनकी टीम में कोमल कुमारी, नंदनी कुमारी, सीमा सिंह मराबी, विकास कुमार, नैना साक्षी और सृष्टि श्रीया और रशीद लतीफ सहित युवा और उज्ज्वल शोधार्थियों की उत्कृष्ट टीम काम कर रही है। इस संबंध में प्रो. रिजवानुल हक ने बताया कि परियोजना का मुख्य लक्ष्य प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं से उपन्यास डिजाइनर टी-कोशिकाओं को विकसित करना और माडल जीवों के खिलाफ यकृत कैंसर के खिलाफ उनकी प्रभावशीलता की जांच करना है। यह शोध मनुष्यों में यकृत कैंसर के उपचार के लिए एक नई चिकित्सीय रणनीति पर प्रकाश डालेगा और कैंसर के लिए उपलब्ध इम्यूनोथेरेपी की उन्नति में मदद करेगा।