
गुरारू: सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद पराली जलाने से किसान परहेज नहीं कर रहे हैं।इस कड़कड़ाती धूप में भी किसानों द्वारा गेहूं की पराली जलाने से बाज नहीं आया जा रहा है। नासमझ, अनपढ़ किसानों को तो छोड़िए पढ़ें लिखे, पंचायत प्रतिनिधियों, राजनैतिक दलों के प्रखण्ड अध्यक्ष का यह हाल है। सोमवार को मलपा-महुआईन गांव के बीच एक राजनैतिक पार्टी के प्रखण्ड अध्यक्ष के द्वारा अपने गेहूं कटे खेतों में इस कदर आग लगाया कि आग की लपटें सड़क को पार करने लगा और घंटा भर आवागमन बाधित हो गया। सड़क के किनारे खड़े बिजली ट्रांसफार्मर को आग छुने लगा। इस भयावह स्थिति को देख पूर्व मुखिया जी उर्फ नेताजी जी वहां से फरार होना ही मुनासिब समझा। गनीमत रही कि बगल में हीं बसे सैंकड़ों घरों की आबादी वाला महादलित टोला में आग की लपटे नहीं पहुंच पाया अन्यथा अनर्थ हो जाता।
इस संबंध में पूर्व प्रभारी प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि इस ओर सरकार की ओर से व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है। कृषि विभाग अपनी ओर से लोगों में समझा बुझाकर जागरूकता लाने का निरंतर प्रयास कर रहा है परन्तु नहीं पुलिस, नहीं पंचायत प्रतिनिधियों एवं स्थानीय बुद्धिजीवियों, नेताओं का ही सहयोग मिलता है। यहां तक कि जिनके कंधों पर आमजनों को जागरूक करने का भार है वही इस तरह के कार्य करने में लगे हैं। पिछले साल कई लोगों का किसान पंजीयन रद्द किया गया है। सरकार को चाहिए कि पुलिस को यह अधिकार दे कि जिनके खेतों में आग लगा पाए उनपर प्राथमिकी दर्ज करें।