देवब्रत मंडल

रेलवे में यात्रियों की सुख सुविधाओं में एक स्वास्थ्य सेवा भी है लेकिन ये कैसी सेवा कही जा सकती है कि एक रेलयात्री को लूज़ मोशन की सूचना मिलती है। ट्रेन गया जंक्शन पर रुकती है तो इमरजेंसी ड्यूटी में रहे रेलवे अनुमंडल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक यात्री को अटेंड करने नहीं जाते हैं। एक ड्रेसर को इस काम के लिए भेज दिया जाता है। इसके बाद उन्हें चिकित्सीय सहायता प्रदान की जाती है। यात्री ने रेल मदद पोर्टल के माध्यम से शिकायत की थी। ये घटना सोमवार(16 जून 2025) की है।
घटनाक्रम कुछ इस प्रकार है
रेल मदद पोर्टल के माध्यम से अस्पताल को मिली थी सूचना
रेल मदद पोर्टल की सेवा पर रहीं अंजली गया रेलवे अनुमंडल अस्पताल को मैसेज भेजती हैं कि ट्रेन नंबर 12371 के कोच बी-6 के बर्थ संख्या 9 पर आसनसोल से सफर कर रहे यात्री छट्ठू जायसवाल को लूज़ मोशन की शिकायत है। जिन्हें गया में चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाए। यात्री के टिकट का पीएनआर 641154121011 बताया गया है।
सीएमएस थे इमरजेंसी ड्यूटी में, पर नहीं जा सके स्टेशन
इस सूचना के बाद अस्पताल के इंडोर में सेवा देने वाली एक महिला स्वास्थ्य कर्मचारी के पास ड्रेसर विजय कुमार(सेवानिवृत्त होने के बाद पुनः सेवा में लिए गए हैं) आते हैं। जो पूछते हैं कि इमरजेंसी ड्यूटी में कौन से चिकित्सा पदाधिकारी हैं तो उन्हें बताया गया कि एमएस(CMS) सर हैं।
एम्बुलेंस से केवल ड्रेसर गए यात्री को अटेंड करने
यात्री द्वारा बताई गई बीमारी के अनुसार कुछ दवाओं के साथ केवल ड्रेसर विजय कुमार एम्बुलेंस से रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं और यात्री को दवा उपलब्ध करा देते हैं। हालांकि कोच में जब ड्रेसर विजय कुमार पहुंच कर यात्री के पास जाते हैं तो यात्री उन्हें बुखार की भी शिकायत करते हैं। यहां मेमो पर पहले से लूज़ मोशन की बात जो लिखी गई थी, उसे काटकर फीवर(बुखार) किया जाता है।
यात्री ने चिकित्सीय सुविधा के एवज में किया दो सौ रुपये का भुगतान
यात्री को इस सेवा के 200 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। इसके बाद ट्रेन अपने अगले स्टेशन के लिए यात्रियों को लेकर चल देती है। बताया गया कि रेलवे द्वारा इस प्रकार की चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के एवज में यात्रियों को सेवा शुल्क जमा करना पड़ता है। यह राशि रेल के खजाने में ऑन ड्यूटी चेकिंग स्टाफ द्वारा ईएफटी के माध्यम से जमा करते हैं।
सीएमएस ने बताया कि क्यों नहीं यात्री को अटेंड कर सके

इमरजेंसी ड्यूटी में रहे मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संदीप कुमार से जब पूछा गया कि आप यात्री को अटेंड करने क्यों नहीं जा सके स्टेशन? तो इनका कहना था कोई जरूरी नहीं कि हरेक इमरजेंसी कॉल पर वे जाएं। उनका कहना था कि हम फोन पर यात्री को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किए जाने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी को फॉलो कर रहे थे क्योंकि हम कुछ ऑफिसियल काम को वे निबटा रहे थे। आगे जब उनसे पूछा गया कि लूज़ मोशन की स्थिति में चिकित्सक का मौजूद रहना उचित जान पड़ता था तो उन्होंने कहा कि यहां केवल तीन चिकित्सक हैं। एक की ड्यूटी रेलवे की परीक्षा (NTPC) में लगाई गई है। एक महिला चिकित्सक योगदान करने के बाद छुट्टी पर चली गई हैं और वे एक सेवानिवृत्त सीआईटी सनाउल्लाह खान की मां जो यहाँ भर्ती हुई हैं, उन्हें रेफर करने की प्रक्रिया में हम लगे हुए थे, इसलिए स्टेशन नहीं जा सके। उन्होंने चिकित्सक की कमी की बात कहते हुए कहा कि हम एक सीएमएस होते हुए भी इमर्जेंसी ड्यूटी करते हैं। उन्होंने व्यवस्थाओं से व्यथित शब्दों में कहा कि ऐसे में तो हॉस्पिटल बंद करना पड़ जायेगा।
पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के यात्री को नहीं मिल पाई चिकित्सीय सुविधा
12801 पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में एक यात्री की तबीयत खराब होने की सूचना रेलवे अस्पताल को मिली थी लेकिन गया जंक्शन पर उन्हें ईलाज मुहैया नहीं कराया जा सका। इस पर जब मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से पूछा गया कि क्यों नहीं 12801 के यात्री को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सकी थी तो उन्होंने बताया कि ट्रेन के गया जंक्शन पर आने के 10 मिनट पहले सूचना मिली थी। उन्होंने बताया कि कम से कम 20-25 मिनट पहले सूचना मिलते हैं तो एम्बुलेंस, चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ को तैयारी करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि रेलवे अनुमंडल अस्पताल, गया से स्टेशन दूरी पर है। रास्ते में ट्रैफिक की भी समस्या अक्सर होती है। ऐसे में समय पर सूचना मिलने पर यात्रियों को चिकित्सीय सुविधाएं मुहैया कराने में परेशानी नहीं होगी।